WHO की चेतावनी: 20 साल बाद तेजी से फैलता चिकनगुनिया – सतर्क रहें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक ताज़ा वैश्विक चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि चिकनगुनिया वायरस एक बार फिर तेजी से फैल रहा है और यह महामारी के रूप में लौट सकता है। इस बार संक्रमण के केंद्र भारतीय महासागर क्षेत्र माने जा रहे हैं, लेकिन इसके मामले अब यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका तक पहुंच चुके हैं।

🌍 वैश्विक स्तर पर बढ़ता संक्रमण

चिकनगुनिया, जो मच्छरों के माध्यम से फैलता है, विशेष रूप से एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस प्रजातियों द्वारा, पहले से ही दर्जनों देशों में फैला है। WHO का कहना है कि बदलते जलवायु पैटर्न और बढ़ती वैश्विक यात्रा ने इस पुराने वायरस को नई भूमि में प्रवेश करने का अवसर दे दिया है।

📈 दो दशक बाद दोहराव की आशंका

WHO ने आशंका जताई है कि यह प्रकोप 2005-2006 की उस बड़ी महामारी जैसा हो सकता है, जब लाखों लोग संक्रमित हुए थे, खासकर भारत, मॉरीशस, रीयूनियन द्वीप और इंडोनेशिया जैसे देशों में। उस समय, चिकनगुनिया के मामले ने स्वास्थ्य तंत्र को बुरी तरह से झकझोर दिया था।

🇮🇳 भारत सहित एशिया पर मंडराता संकट

भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून की शुरुआत के साथ ही मच्छरों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है, जिससे चिकनगुनिया फैलने की आशंका और भी बढ़ गई है। भारत सरकार ने पहले ही कई राज्यों को अलर्ट पर रखा है और मच्छर नियंत्रण अभियान तेज़ कर दिए गए हैं।

🏥 लक्षण और सावधानियां

चिकनगुनिया के सामान्य लक्षणों में तेज़ बुखार, जोड़ दर्द, सिरदर्द, त्वचा पर चकत्ते और थकान शामिल हैं। हालांकि यह बीमारी जानलेवा नहीं मानी जाती, लेकिन इसके कारण महीनों तक चलने वाला जोड़ दर्द और दुर्बलता रोगी के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है।

🦟 WHO की अपील

WHO ने सभी देशों से आग्रह किया है कि वे निगरानी तंत्र को मज़बूत करें, समय पर परीक्षण और रिपोर्टिंग को प्राथमिकता दें और लोगों को मच्छर नियंत्रण के प्रति जागरूक करें। साथ ही, पर्यावरणीय कारकों और शहरीकरण से जुड़ी नीतियों पर पुनर्विचार की भी आवश्यकता बताई गई है।

स्वास्थ्य संगठन ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस वायरस के खिलाफ कोई विशिष्ट टीका या एंटीवायरल दवा अब तक उपलब्ध नहीं है, इसलिए रोकथाम ही सबसे प्रभावी उपाय है।

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