500 मकानों पर बुलडोजर ऐक्शन होने वाला है। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के खिलाफ ऐक्शन होने वाला है। देहरादून नगर निगम और एमडीडीए ने रिस्पना किनारे बसी बस्तियों में सरकारी भूमि पर चिन्हित करीब पांच सौ मकानों को नोटिस देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है।इस सूची में जिन लोगों के नाम शामिल हैं, उनको एक हफ्ते के भीतर खुद मकान ढहाना होगा। इसके बाद दोनों महकमे ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करेंगे। इसके लिए निगम ने जिला प्रशासन और पुलिस को पत्र लिखकर फोर्स मांगा है।
मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण और नगर निगम की टीम ने बीते दिनों सर्वे कर रिस्पना किनारे पांच सौ से ज्यादा मकान चिन्हित किए थे। यहां अधिकतर मकान 11 मार्च 2016 के बाद बनाए गए हैं, जिनको अवैध निर्माण की श्रेणी में रखा है।एनजीटी ने दोनों ही महकमों को अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है, जिसके बाद वे अपने स्तर पर कार्रवाई की तैयारी में जुट गए हैं। नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि पुलिस फोर्स के लिए जिला प्रशासन और पुलिस को पत्र लिखा गया है। लोगों को साक्ष्य उपलब्ध करवाने का पूरा मौका भी दिया जा रहा है।
सोलह बीघा में अवैध प्लॉटिंग का काम रोका
एमडीडीए की टीम ने शुक्रवार को हरभजवाला में करीब सोलह बीघा में अवैध प्लॉटिंग का काम रोका। एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने बताया कि टीमें सभी सेक्टरों में अवैध निर्माण करने वालों और बिना ले आउट प्लॉटिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। उन्होंने आमजन से अपील की है कि कहीं भी प्लॉट या फ्लैट खरीदने से पहले एमडीडीए से जानकारी प्राप्त कर ली जाए।
एमडीडीए ने रिस्पना किनारे अपनी जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए 412 मकानों में रह रहे लोगों को नोटिस दिए हैं। जबकि, नगर निगम ने 89 बस्तीवालों को नोटिस जारी किए हैं। नौ मकान राज्य सरकार की भूमि पर बनाए गए हैं। यह मकान 27 बस्तियों में चिन्हित किए गए हैं। अब इन सबके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। हालांकि, अफसरों का यह भी कहना है कि यदि कोई व्यक्ति बिजली या पानी का तय तारीख से पुराना बिल उपलब्ध करवाता है तो उसे राहत मिल सकती है।
ब्रह्मपुरी में फ्लैट लेकर किराये पर दिए अपने घर
नगर निगम ने ब्रह्मपुरी वार्ड की बस्ती में सरकारी भूमि पर बने मकानों को खाली करवाने के लिए 56 लोगों को सरकारी फ्लैट दिए। लेकिन, इनमें से ग्यारह लोगों ने सरकारी फ्लैट लेने के बाद अपने मकान खाली नहीं किए। कुछ ने बस्ती में बने मकान किराये पर ही दे दिए। जबकि, नगर निगम को इन्हें खाली करवाना था। इस मामले में भी कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।