उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया मामले में सैकड़ों डिग्रीधारकों को नैनीताल हाईकोर्ट से राहत मिली है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग में पहले से नियुक्ति पाए नर्सिंग अधिकारियों के परीक्षा में दोबारा प्रतिभाग करने पर रोक लगा दी है।
इस निर्णय से सैकड़ों नर्सिंग डिग्रीधारक बेरोजगारों को लाभ होगा। नवल किशोर, अनीता भंडारी एवं अन्य की ओर से दायर अलग-अलग अपील पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई की। अपीलकर्ताओं की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार ने नर्सिंग अधिकारियों के पदों को भरने के लिए 2022 में वन टाइम सेटलमेंट योजना शुरू की।
इसके तहत नर्सिंग डिग्रीधारकों को वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति देने का निर्णय लिया गया। इसके बाद 2023 में नर्सिंग पदों को भरने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से 1564 पद विज्ञापित किए गए और उन्हें वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति दे दी गई। 11 मार्च 2024 को चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से नर्सिंग अधिकारी के 1455 पदों को भरने के लिए विज्ञप्ति जारी की गई।
नर्सिंग डिग्रीधारक बेरोजगारों को मिलेगा लाभ
हाईकोर्ट के इस निर्णय से सैकड़ों नर्सिंग डिग्रीधारक बेरोजगारों को लाभ होगा। दरअसल, 1455 पदों पर कई डिग्रीधारकों ने पहली बार आवेदन किया था। मामला कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण संबंधित परीक्षा नहीं हो पा रही थी। इस लिहाज से कोर्ट के निर्णय के बाद सैकड़ों डिग्रीधारक लाभान्वित होंगे।
पहाड़ों पर नौकरी से बचने को मेडिकल कॉलेज की चाह
पहाड़ों पर नौकरी से बचने के लिए नर्सिंग के पदों पर युवा अस्पतालों के बजाय मेडिकल कॉलेज का विकल्प चुन रहे हैं। अस्पतालों में पहाड़ों में दुर्गम स्थानों में भी नौकरी करनी होती है। जबकि मेडिकल कॉलेजों में सुगम में तैनाती का विकल्प रहता है। तबादला भी अस्पतालों के बजाय कम होते हैं। यही वजह है, जो अस्पतालों में लंबे समय से नौकरी करने वाले भी मेडिकल कॅलेजों में नौकरी को नए सिरे से आवेदन कर रहे हैं।