सरकारी भूमि को बेच 4-7 लाख की गारंटी, स्टांप पेपर पर लिखी शर्तें भी करेगी हैरान

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में अतिक्रमण के खिलाफ ऐक्शन हुआ है। लोगों के भारी विरोध के बीच पुलिस-प्रशासन की टीम ने अवैध मकानों का धवस्त किया। अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई में भारी पुलिस बल भी तैनात रहा। दीपनगर क्षेत्र में जिन लोगों के मकान ध्वस्त हुए हैं, उनको बिचौलियों ने चार से सात लाख रुपये में सरकारी जमीन के पट्टे और कच्चे मकान बेचे।

कार्रवाई होने पर नुकसान की भरपाई की गारंटी तक दी गई। सौ रुपये के स्टांप पेपर पर लिखी शर्तें तक चौंकाने वाली हैं। अब बेघर हुए लोगों का कहना है कि एमडीडीए और नगर निगम ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करे, ताकि कोई दूसरा इन बिचौलियों के झांसे में ना आए।मंगलवार को एक व्यक्ति ने खरीद-फरोख्त के कागजात दिखाए थे। इसमें दोनों पक्षों के बीच तीन लाख सत्तर हजार में सौदे का जिक्र है। खरीदने वाले ने तीन लाख नकद और सत्तर हजार रुपये चेक से दिए। तीसरे को गवाह बनाकर उसके हस्ताक्षर करवाए गए। इसी तरह, अन्य लोगों को भी फर्जी तरीके से जमीनें बेची गई हैं।

जो कच्चा निर्माण था, उसकी रकम अलग से ली गई। लोगों ने बताया कि उनको यहां तक कहा गया कि भविष्य में कोई कार्रवाई होती है तो क्षति की भरपाई में सहयोग करेंगे। आसपास के लोगों ने बताया कि सरकारी जमीनों पर पहले कच्चा निर्माण किया जाता है।

ताकि खरीदने वालों को भरोसा हो जाए कि जमीन बेचने वाले लोगों की है। इस दौरान कुछ महिलाओं ने नेताओं को खरी खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि सब अपने वोट बैंक के लिए गुमराह करते हैं। अब कार्रवाई हो रही है तो कोई मौके पर नहीं आ रहा है।

‘बिचौलियों को पकड़कर सबक सिखाना होगा’
पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई से आक्रोशित लोगों ने कहा कि वह अब बिचौलियों को पकड़कर सबक सिखाएंगे। वह जमीन बेचने वालों से पूछेंगे कि आखिर किस आधार पर उनको सरकारी जमीन बेची गई? इसके साथ ही अपना पैसा वापस लौटाने की मांग भी करेंगे।

मजदूरी करने आए, फिर मकान बनाकर बस गए
बस्तियों में रहने वाले कई लोग बाहरी राज्यों से रोजगार की तलाश में दून आए थे। उन्होंने बताया कि पहले वे किराये पर रहते थे। फिर धीरे-धीरे पैसे जोड़कर यहीं पट्टे की जमीन पर बस गए। मगर, पता नहीं था कि बिचौलियों ने उनको सरकारी जमीन बेच दी।

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