उत्तराखंड

भीषण गर्मी से मूड पर भी दुष्प्रभाव, गुस्से और चिड़चिड़ेपन से बढ़ रही टेंशन

उत्तराखंड के कई मैदानी शहरों में पारा 40 डिग्री के पार पहुंच चुका है। रुद्रपुर, रूड़की, हरिद्वार, काशीपुर, विकासनगर आदि शहरों में भीषण गर्मी पड़ रही है। जबकि, राजधानी देहरादून में तापमान लगातार 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है।भीषण गर्मी लोगों के शारीरिक अंगों के साथ-साथ उनके मूड पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक ज्यादा गर्मी में रहने की वजह से लोगों में चिड़चिड़ेपन और अत्यधिक क्रोध जैसे भाव उत्पन्न होने लगते हैं।

ठीक से सोच नहीं पाना भी लक्षण
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के फिजिशियन डॉ. कुमार जी कौल ने बताया कि बढ़ते तापमान से मानसिक स्वास्थ्य के खराब होना का खतरा बढ़ जाता है। चिड़चिड़ापन, आक्रामक व्यवहार और कभी-कभी ठीक से नहीं सोच पाना इसके शुरुआती लक्षण होते हैं। वहीं, कुछ लोगों में अत्यधिक गर्मी से भ्रम और भटकाव की स्थिति भी पैदा हो सकती है।

दिमाग पर प्रभाव
जिला अस्पताल कोरोनेशन-गांधी के फिजिशियन डॉ. प्रवीण पंवार के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अधिक तापमान में ज्यादा देर के लिए रहता है तो दिमाग को काफी नुकसान पहुंचता है। ज्यादा देर गर्मी में रहने से बचना चाहिए।

हृदय पर दबाव

दून अस्पताल की कैथलैब के कार्डियोलॉजिस्ट डा. अमर उपाध्याय के अनुसार, उच्च रक्तचाप से पहले ही दिल पर दबाव पड़ता है। मोटापा होना भी खतरे की बड़ी वजह है, इससे शरीर अधिक गर्मी बरकरार रखता है। शोध में पाया कि यदि तापमान 35 डिग्री से अधिक हो जाता है तो लोग जोर-जोर से सांस लेने लगते हैं और उनकी हृदय गति बढ़ जाती है।

किडनी को नुकसान
श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. नारायण जीत सिंह के अनुसार, किडनी रोग वालों को तो खतरा होता ही है, जो इस बीमारी के होने के बाद भी अनजान रहते हैं और गर्मी के संपर्क में आते हैं उनके लिए यह खतरनाक हो सकता है। ज्यादा गर्मी से किडनी फेल तक हो सकती है।

शरीर को डिहाइड्रेशन से बचने के लिए कोल्ड ड्रिंक जैसे अधिक शुगर वाले पेय पदार्थ फायदे की वजह नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये पानी की कमी की मूल समस्या का समाधान नहीं करते हैं। साथ ही, इनमें ग्लूकोज सोडियम और पोटेशियम संतुलन की कमी होती है, इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से मान्यता प्राप्त ओआरएस का इस्तेमाल करें।

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