राजस्थान

कोर वोट बैंक को मनाने की कोशिश में भाजपा, कर सकती है राज्यसभा सीट से गुर्जर साधने का प्रयास

राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 अगस्त से शुरू होने जा रही है। प्रदेश में एक सीट के लिए चुनाव होना हैं, जो कि केसी वेणुगोपाल के लोकसभा निर्वाचन के चलते खाली हुई है। यूं तो राज्यसभा में भेजे जाने के लिए प्रदेश से कई नामों पर चर्चा जोरों पर है परंतु भाजपा आलाकमान हमेशा ही चौंकाने वाले फैसले लेकर सभी को विस्मित करते आया है, संभावना है कि इस बार भी फैसला आश्चर्यजनक हो।

भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व एक लंबी सोच के साथ काम करने वाला माना जाता है, इसलिए इस बार प्रदेश में बीजेपी और गुर्जर समाज का प्रतिरोध तोड़ने का प्रयास किया जा सकता है। राजस्थान में गुर्जर समाज दौसा, अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, टोंक, कोटा, करौली, धौलपुर तक अपनी पकड़ रखने वाला माना जाता है। इस समाज की खूबी यही रही है कि जिसको हाथ पकड़ाया उसका राजनीतिक बेड़ा पार लगा दिया, जिसको छोड़ा उसकी नाव डूब गई, राजस्थान की राजनीति यह कई बार अनुभव कर चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने पूरे प्रयास के बाद भी 2023 में सरकार नहीं बना सके। 2024 के लोकसभा चुनाव मे कांग्रेस ने प्रहलाद गुंजल को कोटा से और भाजपा ने सुखबीरसिंह जौनपुरिया को सवाई माधोपुर से चुनाव में उतारा था परंतु ये दोनों ही गुर्जर नेता चुनाव हार गए और राजस्थान से गुर्जर समाज का एक भी सांसद लोकसभा नहीं पहुंच पाया।
मार्शल कम्युनिटी के नाम से पहचान रखने वाली इस कौम को सचिन पायलट और डॉ. किरोड़ीलाल बैसला ने एक नई पहचान दी। हालांकि राजेश पायलट भी गुर्जर समाज के बड़े नेता के रूप में जाने जाते रहे परंतु इस कौम का राजनीतिक उदय सचिन पायलट के ही कार्यकाल में हुआ जब यह समाज सरकार बनाने और हटाने के लिए अहम बन गया। गुर्जर समाज को देश के स्तर पर डॉ. बैसला ने पहचान दिलाई और समाज को एकजुट किया।गुर्जर समाज हमेशा से ही भाजपा के कोर वोट बैंक रहा है जो पिछले कुछ समय से हालातों के चलते भाजपा से अलग-थलग पड़ गया। इसका नुकसान भी भाजपा को झेलना पडा और लोकसभा चुनाव में इस समाज की नाराजगी ने भाजपा को पूर्वी राजस्थान से साफ कर दिया।

गुर्जर समाज में सचिन पायलट के अलावा कोई नेता अभी प्रदेश की राजनीति में नहीं नजर आता है। भाजपा आगामी राज्यसभा चुनाव में गुर्जर समाज को आगे लाकर एक बड़ा संदेश दे सकती है और पूर्वी राजस्थान में पुनः अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है, हालांकि पिछले राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने बैसला परिवार की बेटी सुनीता बैसला को राज्यसभा भेजने के प्रयास किए थे लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पाई।

डॉ. किरोड़ी बैसला के बेटे विजय बैसला जो कि भाजपा की विचारधारा से जुड़े हुए हैं, उन्हें राज्यसभा में भेजने का निर्णय केंद्रीय नेतृत्व द्वारा लिया जा सकता है। विजय बैसला ने अपने पिता के साथ गुर्जर आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी और भाजपा में अच्छी पकड़ भी रखते हैं। युवा नेता के रूप में भाजपा इन्हें मौका देकर गुर्जर समाज को संदेश देते हुए अपने लिए समाज में एक नेतृत्व तैयार कर सकती है।

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