गऊ प्रेम या पाखंड? राजस्थान सरकार ने नहीं भेजा वकील, सुप्रीम कोर्ट ने बड़े गौ तस्कर को दी जमानत
‘मुंह में राम, बगल में छूरी’… यह कहावत राजस्थान की भजनलाल सरकार पर बिल्कुल फिट बैठती नजर आ रही है। एक तरफ गायों के नाम पर राजस्थान में राजनीति की जा रही है। गाय को माता बताकर उसके नाम के आगे ‘आवारा’ शब्द का प्रयोग न करने जैसे आदेश जारी किए जा रहे हैं। वहीं, दूसरी तरह सरकार गौ तस्करों की जमानत का विरोध करने के लिए कोर्ट में वकील तक पेश नहीं कर रही है।
यह पूरा मामला करौली जिले के गौ तस्कर नाजिम खान से जुड़ा हुआ है। राजस्थान पुलिस ने 2021 में नाजिम और उसके सहयोगियों को गौ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। हाईकोर्ट तक नाजिम की जमानत नहीं हुई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार की तरफ से नाजिम की जमानत याचिका के खिलाफ वकालतनामा ही पेश नहीं किया गया। इसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने नाजिम को जमानत दे दी और अपने फैसले में इसका उल्लेख भी किया है।सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है- 8 अक्टूबर 2024 को राजस्थान सरकार को नोटिस दिया गया था, इसके बावजूद राजस्थान सरकार की तरफ से किसी ने वकालतनामा नहीं भरा और न ही कोई पेश हुआ। राज्य के काउंसल के नहीं होने के कारण आरोपियों के पुराने आपराधिक रिकॉर्ड पेश नहीं किए जा सके, जिससे उसे जमानत दी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट का पूरा आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…।
विधि मंत्री बोले, जानकारी नहीं
इस मामले में अमर उजाला ने विधि मंत्री जोगाराम पटेल से कॉल पर बात की। उन्होंने कहा- मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। मैं ऑर्डर देखकर ही कुछ कह पाऊंगा।
जानिए क्या है मामला?
गौवंश तस्करी के मामले में 2021 में करौली से नाजिम खान और उसके सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप था कि वे 26 गोवंशों की तस्करी कर उत्तर प्रदेश ले जाने का प्रयास कर रहे थे। आरोपियों पर धारा 3, 5, 8, 9 और 10 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। आरोपियों ने सेशन कोर्ट में जमानत की अर्जी दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी आरोपियों की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि आरोपी का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड होने के कारण जमानत नहीं दी जा सकती है। इसके बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां राजस्थान सरकार के वकील के पेश न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को जमानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है, “8 अक्टूबर 2024 को राजस्थान सरकार को नोटिस दिया गया था, इसके बावजूद राजस्थान सरकार की तरफ से किसी ने वकालतनामा नहीं भरा और न ही कोई पेश हुआ। राज्य के काउंसल के नहीं होने के कारण आरोपियों के पुराने आपराधिक रिकॉर्ड पेश नहीं किए जा सके, जिससे उन्हें जमानत दी जा रही है।”