भारत में अयोध्या के भव्य राम मंदिर के निर्माण के बाद भी इस मुद्दे पर बयानबाज़ी और विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब इस्लामिक धर्मगुरु मौलाना साजिद रशीदी का एक बयान सामने आया है, जिसने सनसनी मचा दी है। उन्होंने कहा है कि “जब भारत में इस्लामिक शासक सत्ता में आएगा, तो राम मंदिर को ध्वस्त कर दिया जाएगा और बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण किया जाएगा।”
क्या कहा मौलाना साजिद रशीदी ने?
एक इंटरव्यू में मौलाना साजिद रशीदी ने दावा किया कि “हमारी आस्था के अनुसार, मस्जिद एक बार बनने के बाद हमेशा मस्जिद ही रहती है। जब भारत में इस्लामिक सरकार बनेगी, तब बाबरी मस्जिद को दोबारा खड़ा किया जाएगा। इसके लिए हमें 50-100 साल तक इंतजार करना पड़े, तब भी हम करेंगे।”
बयान से मचा राजनीतिक तूफान
मौलाना रशीदी के इस बयान के बाद देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। हिंदू संगठनों ने इसे ‘सांप्रदायिक भड़काऊ बयान’ बताते हुए कड़ी आलोचना की है। सोशल मीडिया पर भी लोग इस बयान को लेकर आक्रोश जता रहे हैं और इसे ‘हिंदू आस्था पर हमला’ करार दे रहे हैं।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
- भाजपा – पार्टी के नेताओं ने कहा कि “राम मंदिर का निर्माण लाखों हिंदुओं की आस्था का परिणाम है। इसे कोई ताकत मिटा नहीं सकती।”
- कांग्रेस – पार्टी ने कहा कि “इस तरह के बयान समाज में नफरत फैलाने का काम करते हैं और इनसे बचना चाहिए।”
- एआईएमआईएम – असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि “हम लोकतांत्रिक तरीके से अपने अधिकारों की बात करते हैं, लेकिन धार्मिक स्थानों पर इस तरह की चर्चा से बचना चाहिए।”
क्या कहता है कानून?
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत किया गया है। कानून विशेषज्ञों का कहना है कि “अब राम मंदिर को गिराने की कोई भी कोशिश पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक होगी।”
जनता में गुस्सा, सोशल मीडिया पर बवाल
मौलाना रशीदी के बयान पर लोग सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
- एक यूजर ने लिखा, “राम मंदिर को कोई मिटा नहीं सकता। यह हिंदुओं की आस्था और संघर्ष का प्रतीक है!”
- दूसरे ने कहा, “भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, ऐसे बयान देकर कौन माहौल खराब करना चाहता है?”
क्या होगा आगे?
इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। हिंदू संगठनों ने मौलाना रशीदी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की माँग की है। देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।
क्या आपको लगता है कि इस तरह के विवादित बयानों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए? अपनी राय बताइए!