प्रयागराज— भारत के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया इतिहास रच दिया गया है! कुंभ मेले में त्रिवेणी संगम पर अब तक 66 करोड़ 21 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया है। यह आंकड़ा न केवल धार्मिक आस्था की पराकाष्ठा है, बल्कि राजनीति के महासमर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रचंड वापसी की भी गारंटी मानी जा रही है।
धार्मिक लहर या राजनीतिक सुनामी?
विश्लेषकों की मानें तो यह आंकड़ा केवल आस्था का प्रमाण नहीं है, बल्कि यह हिंदुत्व की वह अदृश्य शक्ति है, जो चुनावी गणित को पूरी तरह बदल सकती है। जिस प्रकार 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अर्धकुंभ में 24 करोड़ श्रद्धालु जुटे थे और मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई थी, उसी तर्ज़ पर 2024 में यह संख्या तीन गुना बढ़ चुकी है। संदेश स्पष्ट है— मोदी के नेतृत्व में हिंदू जनमानस पहले से कहीं अधिक संगठित और सशक्त हुआ है।

उत्तर प्रदेश में योगी लहर!
कुंभ मेले में सबसे अधिक स्नानार्थी उत्तर प्रदेश से आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ की नीतियों और राम मंदिर के भव्य निर्माण के बाद यूपी में भाजपा को हराना अब नामुमकिन हो चुका है। कुंभ की ऐतिहासिक भीड़ ने यह साबित कर दिया है कि जनता का विश्वास अडिग है।
चुनावी समीकरण: विपक्ष के लिए मुश्किलें बढ़ीं!
कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन इस लहर को रोकने के लिए भले ही कड़ी रणनीति बना रहे हों, लेकिन 66 करोड़ श्रद्धालुओं की आस्था ने भाजपा को पहले ही चुनावी जीत की दिशा में आगे कर दिया है। “अगर यह श्रद्धालु वोट डालने भी निकल पड़े, तो विरोधियों के लिए बचने का कोई रास्ता नहीं होगा,” एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा।
क्या भविष्य का जनादेश तय हो चुका है?
मोदी-योगी के समर्थन में जो धार्मिक और सांस्कृतिक लहर उठी है, उसने विपक्ष की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं। प्रयागराज से निकली यह धारा क्या सीधे दिल्ली और लखनऊ के सिंहासन तक पहुंचेगी? यह तय होना अभी बाकी है, लेकिन संकेत स्पष्ट हैं— सत्ता की गंगा एक बार फिर उन्हीं के तट पर बहने वाली है!