दिल्ली में भाजपा की ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार की रणनीति: महापौर चुनाव पर गहरी नजर

दिल्ली की राजनीतिक फिजा एक बार फिर गरमाने वाली है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगभग तीन दशकों के बाद दिल्ली की सत्ता में लौटने की तैयारी कर रही है। लेकिन उसकी निगाहें सिर्फ विधानसभा तक सीमित नहीं हैं। भाजपा अब दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) महापौर चुनावों में भी पूरी ताकत झोंक रही है। यदि भाजपा इस लड़ाई में जीत हासिल करती है, तो राजधानी में उसकी ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार होगी—केंद्र, राज्य और नगर निगम तीनों पर भगवा पार्टी का नियंत्रण।

 

महापौर चुनाव: भाजपा की अग्निपरीक्षा

 

दिल्ली नगर निगम में कुल 250 निर्वाचित पार्षद हैं। इसके अलावा, दिल्ली के सात सांसद, तीन राज्यसभा सांसद और 14 विधायक भी महापौर चुनाव में अपना मत डालते हैं। इस समीकरण को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने अपनी रणनीति को धार दी है।

 

वर्तमान समीकरणों को देखें तो भाजपा के पास 120 पार्षद हैं, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) के पास 122 सीटें हैं। पहली नज़र में यह मामूली बढ़त लग सकती है, लेकिन असली खेल यहीं से शुरू होता है। विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा के आठ पार्षद विधायक बन चुके हैं, वहीं आप के तीन पार्षद भी विधायक बने हैं। यानी समीकरण बदल चुके हैं।

 

क्या भाजपा के पास जीत का कोई मास्टरस्ट्रोक है?

 

भाजपा के पास अभी भी कई रणनीतिक हथियार हैं। पहला, दिल्ली के सात लोकसभा सांसद और तीन राज्यसभा सांसद स्पष्ट रूप से भाजपा के पक्ष में मतदान करेंगे। दूसरा, एमसीडी में निर्दलीय पार्षदों का झुकाव भी भाजपा की ओर हो सकता है। तीसरा, कांग्रेस और अन्य दलों के पार्षदों की भूमिका निर्णायक हो सकती है।

 

भाजपा का मुख्य फोकस इस चुनाव को ‘केजरीवाल बनाम मोदी’ की लड़ाई बनाकर पेश करने पर है। पार्टी चाहती है कि दिल्ली के मतदाता यह संदेश स्पष्ट रूप से समझें कि अगर महापौर भाजपा का होगा तो विकास कार्यों में कोई अड़चन नहीं आएगी। इसके विपरीत, अगर आप का महापौर बनता है, तो केंद्र और नगर निगम के बीच टकराव की स्थिति बनी रहेगी।

 

आप की मुश्किलें और भाजपा की बढ़त

 

आम आदमी पार्टी के सामने कई चुनौतियाँ हैं। हाल के विधानसभा चुनावों में आप का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा, जबकि भाजपा को उम्मीद से अधिक सीटें मिलीं। इसके अलावा, केजरीवाल सरकार कई मोर्चों पर घिरी हुई है—चाहे वह कथित भ्रष्टाचार के आरोप हों या दिल्ली में कानून-व्यवस्था से जुड़े सवाल।

 

भाजपा इस मौके को भुनाने के लिए पूरी तैयारी में है। पार्टी के रणनीतिकार एमसीडी चुनाव को विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। उनका मानना है कि महापौर की कुर्सी जीतकर भाजपा न केवल एमसीडी पर अपनी पकड़ मजबूत करेगी, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए भी अपनी स्थिति को सुदृढ़ करेगी।

 

दिल्ली की जनता को क्या मिलेगा?

 

अगर भाजपा एमसीडी में सत्ता हासिल कर लेती है, तो दिल्ली को ‘डबल इंजन’ की जगह ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार मिलेगी। भाजपा समर्थकों का दावा है कि इससे दिल्ली में विकास की गति तेज होगी, जबकि आलोचकों का कहना है कि यह सिर्फ राजनीतिक प्रचार का हिस्सा है।

 

महापौर चुनाव का यह रण केवल भाजपा और आप के बीच सत्ता की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह दिल्ली की भावी राजनीतिक दिशा तय करने वाला निर्णायक युद्ध भी है। अब देखना यह होगा कि इस खेल में बाजी किसके हाथ लगती है—क्या भाजपा दिल्ली में अपनी ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार स्थापित कर पाएगी, या फिर आप इस लड़ाई को किसी और मोड़ पर ले जाएगी? अप्रैल का महीना दिल्ली की राजनीति के लिए बेहद अहम साबित होने वाला है।

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