कुंभ के मेले में बेबसी की चीख: एक दादी की करुण कथा

प्रयागराज, कुंभ मेला: जहाँ एक ओर कुंभ मेला आध्यात्म, आस्था और भक्ति का सबसे बड़ा संगम है, वहीं दूसरी ओर इसी मेले की भीड़ में एक बुज़ुर्ग महिला को उनके अपनों ने ही छोड़ दिया—वो भी अमानवीय तरीके से। वैशाली, बिहार की रहने वाली एक वृद्धा को उनके परिजनों ने हाथ-पैर बांधकर, नशे की सुई देकर मेला परिसर में फेंक दिया। उनकी हालत इतनी दयनीय थी कि जब लोग उन्हें बेहोशी की अवस्था में देखकर अस्पताल लेकर गए, तब जाकर यह दर्दनाक सच्चाई सामने आई।

घरवालों ने ठुकराया, कुंभ ने अपनाया

स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में जब बुज़ुर्ग महिला को भर्ती कराया गया, तो उनकी आँखों में डर, बेबसी और दर्द था। वे बार-बार अपने आधार कार्ड को कसकर पकड़तीं, जिससे यह साबित हो सके कि वे कोई अनाथ नहीं हैं, बल्कि उनका एक घर, एक परिवार है—जो अब उन्हें अपनाने को तैयार नहीं।

पूछताछ में सामने आया कि उनके घरवालों ने पहले जमीन के कागजों पर जबरन उनके अंगूठे के निशान ले लिए, फिर उन्हें कुंभ के मेले में अकेला छोड़ दिया। यह अमानवीयता और छल का ऐसा घिनौना रूप है, जिसे देखकर संवेदनशील हृदय भी सिहर उठे

क्या बुजुर्ग अब बोझ बन चुके हैं?

समाज में बुजुर्गों की स्थिति पर यह घटना एक कड़ा तमाचा है। जब माता-पिता अपने बच्चों को पालने के लिए अपनी पूरी जिंदगी न्योछावर कर देते हैं, तो उन्हीं माता-पिता को बुढ़ापे में इस तरह तिरस्कृत कर देना क्या हमारी नैतिकता पर बड़ा सवाल नहीं उठाता?

यह घटना अकेली नहीं है। कुंभ जैसे बड़े मेलों में हर साल सैकड़ों बुजुर्ग “गुमशुदा” हो जाते हैं। यह गुमशुदगी असल में सोची-समझी साजिश होती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com