प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति में उनकी धार्मिक यात्राओं का विशेष स्थान रहा है। 2014 से अब तक, कई महत्वपूर्ण चुनावों के दौरान, मोदी मतदान के दिन या उससे पहले प्रमुख मंदिरों और तीर्थस्थलों की यात्रा करते रहे हैं। इसे उनकी व्यक्तिगत आस्था कहें या एक रणनीतिक कदम, लेकिन यह स्पष्ट है कि इन दौरों का राजनीतिक माहौल पर असर पड़ता है।
2014 से 2025: मंदिर दर्शन और चुनावी नतीजों का गणित
1. 2019 लोकसभा चुनाव – केदारनाथ की गुफा में साधना
- तारीख: 19 मई 2019
- क्या हुआ: अंतिम चरण के मतदान से एक दिन पहले, पीएम मोदी ने केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की और ध्यान लगाया।
- नतीजा: बीजेपी ने 303 सीटें जीतकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
2. 2017 यूपी विधानसभा चुनाव – सोमनाथ मंदिर का आशीर्वाद
- तारीख: 8 मार्च 2017
- क्या हुआ: मतदान के अंतिम चरण में मोदी सोमनाथ मंदिर गए।
- नतीजा: बीजेपी ने 403 में से 312 सीटें जीत लीं।
3. 2017 गुजरात चुनाव – अम्बाजी मंदिर के दर्शन
- तारीख: 12 दिसंबर 2017
- क्या हुआ: मोदी ने अम्बाजी मंदिर में विशेष पूजा की।
- नतीजा: बीजेपी ने लगातार आठवीं बार गुजरात में सरकार बनाई।
4. 2021 पश्चिम बंगाल और असम चुनाव – बांग्लादेश में शक्ति पीठ यात्रा
- तारीख: 27 मार्च 2021
- क्या हुआ: पहले चरण के मतदान के दिन मोदी ने बांग्लादेश के यशोश्वरी शक्ति पीठ के दर्शन किए।
- नतीजा: बंगाल में बीजेपी 77 सीटों पर रही, लेकिन असम में सरकार बरकरार रखी।
5. 2024 लोकसभा चुनाव – कन्याकुमारी में 45 घंटे की साधना
- तारीख: 1 जून 2024
- क्या हुआ: मोदी ने विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर साधना की।
- नतीजा: बीजेपी ने 240 सीटें जीतकर तीसरी बार सरकार बनाई।
6. 2025 दिल्ली चुनाव – महाकुंभ स्नान का संकल्प
- तारीख: 5 फरवरी 2025
- क्या हुआ: मतदान के दिन पीएम मोदी ने प्रयागराज में संगम स्नान किया।
- नतीजा: परिणाम की प्रतीक्षा।
क्या ‘धार्मिक यात्राएँ’ चुनावी जीत की कुंजी हैं?
मोदी की इन यात्राओं से यह कहना मुश्किल है कि उनकी जीत का सीधा कारण यही हैं, लेकिन यह तय है कि उनका यह तरीका चुनावी नैरेटिव को मजबूती देता है। धार्मिक आस्था और हिंदू वोटरों के बीच उनकी छवि को और गहराई से स्थापित करता है।
आगामी चुनावों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी की यह ‘आस्था यात्रा’ किस तरह के राजनीतिक परिणाम लाती है। क्या यह महज संयोग है, या फिर सुनियोजित रणनीति?