कराची में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी दो हजार पच्चीस के उद्घाटन समारोह ने एक बार फिर पाकिस्तान की अव्यवस्था और सुरक्षा प्रबंधन की पोल खोल दी। जैसे ही समारोह शुरू हुआ, पाकिस्तानी दर्शकों की भीड़ बेकाबू हो गई और विशिष्ट व्यक्तियों के प्रवेश द्वार के पास मैदान की बाड़ पर चढ़ गई। नतीजा? सुरक्षा कर्मियों के हाथ-पैर फूल गए, और पूरा आयोजन अव्यवस्था के गर्त में चला गया।
बदइंतजामी और तोड़फोड़
मैदान के भीतर और बाहर, दोनों स्थानों पर अव्यवस्था का आलम था। दर्शकों ने न केवल प्रवेश द्वार पर तोड़फोड़ की, बल्कि सुरक्षा अवरोधकों को भी ध्वस्त कर दिया। विशिष्ट व्यक्तियों के प्रवेश द्वार पर उमड़ी भीड़ को काबू में करने के लिए प्रहरीयों को खूब मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन हालात हाथ से निकलते देर नहीं लगी। पाकिस्तानी अधिकारियों की नाकामी एक बार फिर दुनिया के सामने उजागर हो गई।
सुरक्षा चिंताओं के कारण भारतीय दल की अनुपस्थिति
यह अव्यवस्था कोई नई बात नहीं है। भारतीय खेल दल पहले ही सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान न जाने का निर्णय ले चुका था। अब कराची की घटनाओं ने सिद्ध कर दिया कि यह निर्णय पूरी तरह उचित था। यदि उद्घाटन समारोह में ही सुरक्षा ध्वस्त हो जाती है, तो प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों की सुरक्षा का क्या होगा?
आईसीसी और पाकिस्तान क्रिकेट मंडल की चुप्पी संदिग्ध
इतनी बड़ी अव्यवस्था के बावजूद आईसीसी और पाकिस्तान क्रिकेट मंडल की चुप्पी संदेहास्पद है। क्या वे इस घटना को यूँ ही टाल देंगे, या फिर पाकिस्तान को अपनी ज़िम्मेदारी लेने के लिए मजबूर किया जाएगा?
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी दो हजार पच्चीस की शुरुआत जिस अव्यवस्था और अराजकता के साथ हुई है, वह न केवल पाकिस्तान के कुप्रबंधन की कहानी कहती है, बल्कि इस पूरे आयोजन की सुरक्षा पर भी एक बड़ा प्रश्न चिह्न लगा देती है। क्या आने वाले खेल सुरक्षित वातावरण में हो पाएंगे, या फिर पाकिस्तान की यह बदइंतजामी प्रतियोगिता को और अधिक विवादों में घसीटेगी?