उत्तराखंड

टिहरी सीट भाजपा आठ बार जीती जरूर, मगर कांग्रेस की जड़ों को नहीं हिला पाई, ऐसा रहा है इतिहास

टिहरी लोकसभा के चुनावी समर में भाजपा ने राजपरिवार के सहारे नौ में से आठ बार जीत दर्ज की, लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि भाजपा लगातार जीत के बावजूद कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक के रूप में स्थापित जड़ों को नहीं हिला पाई।पिछले तीन चुनाव से (एक उपचुनाव, दो चुवाव) भाजपा की ओर से राजपरिवार की सदस्य माला राज्यलक्ष्मी शाह लोकसभा में टिहरी का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। इन दो चुनाव में कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक करीब ढाई फीसदी ही खिसक पाया। सियासी जानकारों का मानना है कि इसी वोट बैंक पर सेंध लगाने के लिए भाजपा ने बूथ प्रबंधन का विशेष अभियान चलाया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का यह बूथ प्रबंधन भी कसौटी पर होगा।

चुनावी इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि टिहरी लोकसभा सीट पर अब तक हुए चुनावों में राज परिवार का वर्चस्व रहा। आजादी के बाद से 90 के दशक तक यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है। जिस दल में राज परिवार रहा उस दल को ही यहां से अकसर जीत मिलती रही, लेकिन लगातार दो आम चुनावों में हार के बावजूद राज परिवार का जादू कांग्रेस की जड़ों को नहीं हिला पाया। कांग्रेस को 2014 में 31 फीसदी और 2019 में 30 फीसदी मत मिले थे।

2019 में चुनाव हार गए थे प्रीतम सिंह
1949 में टिहरी रियासत का भारतीय संघ में विलय के बाद 1951-52 के पहले लोकसभा चुनाव में राजा मानवेंद्र शाह को चुनाव लड़ाने की तैयारी थी, लेकिन उनका नामांकन खारिज होने पर महारानी कमलेंदुमति को निर्दलीय चुनाव में उतारा गया और उन्होंने जीत हासिल की। 1957 से 1989 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। 1977 में त्रेपन सिंह नेगी बीएलडी से चुनाव जीते और 1980 में कांग्रेस टिकट पर चुनाव जीता। राज परिवार के भाजपा में शामिल होने के बाद 1991 में मानवेंद्र शाह से भाजपा के टिकट चुनाव जीता और 2004 तक लगातार सांसद चुने गए। 2009 में कांग्रेस से विजय बहुगुणा ने जीत हासिल की। इसके बाद इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। 2014 में कांग्रेस से साकेत बहुगुणा और 2019 में प्रीतम सिंह यहां से चुनाव हार गए थे।

इस बार की स्थिति

इस चुनाव में भाजपा ने चौथी बार माला राज्य लक्ष्मी शाह को चुनाव मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला से होगा। गुनसोला पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

टिहरी सीट में ये विधानसभा क्षेत्र शामिल

टिहरी संसदीय क्षेत्र में 14 विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें पुरोला, यमुनोत्री, गंगोत्री, घनसाली, प्रतापनगर, टिहरी, धनोल्टी, चकराता, विकासनगर, सहसपुर, रायपुर, राजपुर रोड, देहरादून कैंट व मसूरी विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।

कब-कब जीती कांग्रेस

वर्ष सांसद दल
1952 महारानी कमलेंदुति निर्दलीय
1957 मानवेंद्र शाह कांग्रेस
1962 मानवेंद्र शाह कांग्रेस
1967 मानवेंद्र शाह कांग्रेस
1971 परिपूर्णानंद पैन्यूली कांग्रेस
1977 त्रेपन सिंह नेगी बीएलडी
1980 त्रेपन सिंह नेगी बीएलडी
1984 ब्रह्मदत्त कांग्रेस
1989 ब्रह्मदत्त कांग्रेस
1991 मानवेंद्र शाह भाजपा
1996 मानवेंद्र शाह भाजपा
1998 मानवेंद्र शाह भाजपा
1999 मानवेंद्र शाह भाजपा
2004 मानवेंद्र शाह भाजपा
2009 विजय बहुगुणा कांग्रेस
2012 माला राज्य लक्ष्मी शाह भाजपा
2014 माला राज्य लक्ष्मी शाह भाजपा

 

2019 माला राज्य लक्ष्मी शाह भाजपा

चुनाव वार मत प्रतिशत

चुनाव भाजपा कांग्रेस
2019 64.3 30.11
2014 57.30 32.75
2009 35.98 45.04
2004 47.62 64.52

टिहरी क्षेत्र में मतदाता

कुल मतदाता-1572110

महिला मतदाता-752558

पुरुष मतदाता-806614

सर्विस मतदाता-12876

ट्रांसजेंडर-62

राजपरिवार और हरीश रावत परिवार तक सीमित रहा टिकट

भाजपा और कांग्रेस यह कह सकती है कि इतिहास में उसने महिलाओं को प्रत्याशी बनाया, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि दोनों दलों में महिलाओं का यह टिकट राज परिवार और हरीश रावत परिवार तक सीमित होकर रह गया। कांग्रेस ने 2004 में हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को उम्मीदवार बनाया। इसके बाद 2014 में एक फिर रेणुका रावत हरिद्वार से कांग्रेस की प्रत्याशी बनीं। भाजपा ने टिहरी सीट से माला राज्य लक्ष्मी को 2012 के उपचुनाव में सबसे पहली बार प्रत्याशी बनाया। टिहरी परिवार की यह महिला प्रतिनिधि 2014, 2019 और अब 2024 में पार्टी की प्रत्याशी है। दिलचस्प यह है कि इस बार टिहरी सीट पर छह से अधिक महिला नेताओं ने टिकट की दावेदारी की थी। अल्मोड़ा सीट पर कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य की दावेदारी थी। नैनीताल-ऊधम सिंह नगर और हरिद्वार में भी महिला नेताओं की दावेदारी की चर्चा रही। लेकिन पार्टी ने टिहरी सीट पर राजपरिवार की सदस्य माला राज्यलक्ष्मी पर ही भरोसा जताया।

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