प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में तीर्थयात्रा को और सुगम बनाने के लिए दो महत्वपूर्ण रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किमी लंबा रोपवे (₹4,081.28 करोड़) और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किमी लंबा रोपवे (₹2,730.13 करोड़) शामिल हैं। ये परियोजनाएं ‘पर्वतमाला योजना’ के तहत क्रियान्वित की जा रही हैं, जिसका उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों में आधुनिक परिवहन सुविधाएं विकसित करना है।
यात्रा होगी अधिक सुगम और सुरक्षित

अब तक तीर्थयात्रियों को केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए 16-18 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती थी, जिसमें 6-8 घंटे लगते थे। इसी तरह, हेमकुंड साहिब की चढ़ाई भी अत्यधिक कठिन मानी जाती थी। रोपवे के निर्माण से यह सफर मात्र 30-40 मिनट का रह जाएगा, जिससे बुजुर्गों और दिव्यांगों को विशेष राहत मिलेगी।
पर्यटन और अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन और तीर्थयात्रा पर निर्भर है। इन रोपवे परियोजनाओं से पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाइयां मिलेंगी, स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और छोटे व्यापारियों की आय में वृद्धि होगी।
आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर बड़ा कदम
सरकार की यह पहल ‘विकसित भारत’ के संकल्प की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इससे पहाड़ी राज्यों में कनेक्टिविटी बेहतर होगी और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इन क्षेत्रों में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी। साथ ही, यात्रियों को अत्याधुनिक सुविधाएं भी मिलेंगी, जिससे उत्तराखंड का धार्मिक और साहसिक पर्यटन और अधिक समृद्ध होगा।
इन रोपवे परियोजनाओं के पूरा होने के बाद, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा पहले की तुलना में कहीं अधिक आसान, सुरक्षित और सुविधाजनक होगी।