भारत-पाक सीजफायर: शांति की नई उम्मीद या अस्थायी विराम?

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को एक बार फिर चरम पर पहुँचा दिया था। इस हमले के बाद पाकिस्तान ने लगातार 12 दिनों तक नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीजफायर का उल्लंघन किया, जिसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ के तहत पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। लेकिन 10 मई 2025 को एक चौंकाने वाला मोड़ आया, जब दोनों देशों ने तत्काल प्रभाव से युद्धविराम की घोषणा की। यह सीजफायर न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि लंबे समय से चले आ रहे तनाव में एक नई उम्मीद की किरण भी जगाता है।

पहलगाम हमले ने कैसे बढ़ाया तनाव?

पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में निर्दोष नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की जान गई, जिसके लिए भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने LoC पर लगातार गोलीबारी शुरू कर दी। 4-5 मई की रात को पुंछ, राजौरी, कुपवाड़ा, बारामुल्ला और अखनूर जैसे क्षेत्रों में बिना उकसावे के छोटे हथियारों से फायरिंग की गई।

भारतीय सेना ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया, लेकिन तनाव बढ़ता गया। भारत ने इस दौरान न केवल सैन्य कार्रवाई की, बल्कि कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर भी कड़े कदम उठाए। सिंधु जल संधि को निलंबित कर चिनाब नदी का पानी रोक दिया गया, और किशनगंगा बांध के जरिए झेलम नदी का प्रवाह रोकने की योजना बनाई गई। यह कदम पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि वह भारत से आने वाले पानी पर काफी हद तक निर्भर है।

ऑपरेशन सिंदूर: भारत की सटीक जवाबी कार्रवाई

पहलगाम हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। इन हमलों में बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद और मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा के अड्डों को निशाना बनाया गया। भारतीय वायुसेना ने आकाश मिसाइल सिस्टम और S-400 जैसे उन्नत हथियारों का इस्तेमाल कर पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों को भी नाकाम किया।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में पाकिस्तानी सांसदों को संसद में भारत के हमलों के डर से रोते हुए देखा गया। एक सांसद ने तो यहाँ तक कहा, “अल्लाह अब सिर्फ तू ही बचा सकता है।” इन हमलों ने पाकिस्तान को सैन्य और मनोवैज्ञानिक दोनों स्तरों पर हिला दिया।

सीजफायर की घोषणा: कैसे बनी सहमति?

10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान ने एक साथ सीजफायर की घोषणा की। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्वीट कर कहा,
“भारत और पाकिस्तान ने गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई है।”
वहीं, पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने भी ट्वीट किया,
“पाकिस्तान और भारत ने तत्काल प्रभाव से युद्धविराम पर सहमति बनाई है। पाकिस्तान हमेशा क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए प्रयासरत रहा है, बिना अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए।”

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यह सीजफायर भारत की शर्तों पर हुआ। भारत ने साफ कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी जीरो टॉलरेंस नीति बरकरार रहेगी। इस समझौते में अंतरराष्ट्रीय दबाव की भी बड़ी भूमिका रही। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि दोनों देशों को युद्ध रोकने के लिए राजी करने में उनकी मध्यस्थता काम आई।

दुनिया और भारत में प्रतिक्रियाएँ

सीजफायर की घोषणा के बाद भारत में राजनीतिक दलों ने इसे सावधानीपूर्वक स्वागत किया। बीजेपी ने इसे भारत की सैन्य और कूटनीतिक ताकत का परिणाम बताया, जबकि कांग्रेस ने सरकार से पूछा कि क्या यह सीजफायर आतंकवाद पर पाकिस्तान की नीति में बदलाव की गारंटी देता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, रूस और जापान ने भारत के पक्ष का समर्थन किया, जबकि पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अकेला पड़ता देखा गया। सोशल मीडिया पर भारतीय यूजर्स ने इसे “पाकिस्तान की हार” करार दिया, वहीं कुछ ने इसे “शांति की जीत” बताया।

क्या यह सीजफायर टिकाऊ होगा?

हालांकि यह सीजफायर क्षेत्रीय शांति के लिए एक सकारात्मक कदम है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसका भविष्य पाकिस्तान की नीतियों पर निर्भर करता है। 25 फरवरी 2021 को दोनों देशों ने सीजफायर समझौते को नवीनीकृत किया था, लेकिन पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान ने इसे बार-बार तोड़ा

भारत ने साफ कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाइयों में कोई ढील नहीं देगा। दूसरी ओर, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और अंतरराष्ट्रीय दबाव उसे शांति की मेज पर लाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। हाल ही में IMF से कर्ज के लिए उसकी गुहार और विश्व बैंक द्वारा सिंधु जल संधि पर भारत के पक्ष को समर्थन ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया है।

आगे क्या?

यह सीजफायर न केवल भारत-पाक संबंधों के लिए, बल्कि दक्षिण एशिया की भू-राजनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है। भारत ने अपनी सैन्य ताकत और कूटनीतिक चाल से पाकिस्तान को साफ संदेश दे दिया है कि वह किसी भी उकसावे का जवाब देने में सक्षम है। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या यह युद्धविराम दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में एक कदम होगा, या फिर यह सिर्फ एक अस्थायी ठहराव है?

जैसा कि एक भारतीय सैन्य अधिकारी ने कहा,
“हमारी बंदूकें खामोश हैं, लेकिन हमारी नजरें LoC पर टिकी हैं।”
यह सीजफायर शांति की एक नई शुरुआत हो सकता है, बशर्ते पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाए। तब तक, भारत अपनी सीमाओं और नागरिकों की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाने को तैयार है।

आप क्या सोचते हैं?
क्या यह सीजफायर दक्षिण एशिया में स्थायी शांति की ओर ले जाएगा, या यह सिर्फ समय की बर्बादी है?
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