आज लोगों को मतदान करने के लिए तमाम तरह के जागरूकता कार्यक्रम करने पड़ रहे हैं। स्वीप की टीम घर-घर जाकर लोगों को मतदान करने के लिए प्रेरित कर रही है। तमाम स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों से मतदान करने के लिए आह्वान किया जा रहा है। एक दौर था जब मतदान करने के लिए लोगों में जबरदस्त उत्साह हुआ करता था और कई जगहों पर ग्रामीण ढोल नगाड़ों के साथ मतदान करने के लिए जाते थे।
75 वर्षीय महेश चंद्र बताते हैं कि 1960 के दशक से 1980 तक लोगों में नई सरकार चुनने के लिए गजब का उत्साह होता था। मतदान के दिन गांव के मतदाताओं में खासा उत्साह देखने को मिलता था। तब आज की तरह जागरूकता कार्यक्रम संचालित नहीं होते थे। हर गांव के ग्राम प्रधान पूरे गांव के लोगों को मतदान करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। इसके बाद मतदान के दिन पूरे गांव के मतदाताओं को ढोल नगाड़ों के साथ मतदान केंद्र तक ले जाया जाता था। इस दौरान ग्रामीणों को बिना किसी दबाव के मतदान करने को कहा जाता था। महेश चंद्र बताते हैं कि वह ऐसा दौर था जब लोगों के लिए मतदान बड़े उत्सव की तरह होता था।