CBSE का बड़ा बदलाव: अब बिना 75% उपस्थिति और आंतरिक मूल्यांकन के नहीं दे पाएंगे बोर्ड परीक्षा

नई दिल्ली, 15 सितंबर 2025 – बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने बड़ा फैसला लिया है। अब बोर्ड परीक्षा सिर्फ आख़िरी दिन की मेहनत का खेल नहीं रहेगा। छात्रों को पूरे दो साल पढ़ाई में नियमित और सक्रिय रहना होगा।

दो साल का सफर अब अनिवार्य

CBSE ने साफ कर दिया है कि कक्षा 10 और 12 का पाठ्यक्रम दो साल का पैकेज है।

  • मतलब, कक्षा 9-10 और 11-12 को मिलाकर लगातार दो साल तक पढ़ाई करनी होगी।
  • अब वो दौर खत्म हुआ जब कुछ छात्र “डमी उम्मीदवार” बनकर सीधे परीक्षा में आ धमकते थे।

ये बदलाव उन छात्रों के लिए भी संकेत है जो सोचते थे कि अंतिम परीक्षा की तैयारी से काम चल जाएगा। अब शुरुआत से ही ध्यान देना जरूरी होगा।

क्लास बंक नहीं चलेगा, चाहिए 75% उपस्थिति

नए नियमों के मुताबिक, बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए 75% उपस्थिति जरूरी कर दी गई है।

  • हां, अगर कोई छात्र बीमार पड़ जाता है या देश-विदेश के खेलों में भाग लेता है, तो मेडिकल सर्टिफिकेट या आधिकारिक दस्तावेज़ दिखाकर छूट मिल सकती है।
  • लेकिन रोज़ाना क्लास छोड़ने का बहाना अब काम नहीं आएगा।

यह कदम छात्रों को स्कूल से जोड़कर रखने और पढ़ाई में अनुशासन लाने के लिए उठाया गया है।

सिर्फ लिखित परीक्षा से काम नहीं चलेगा

NEP 2020 के तहत आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) अब उतना ही जरूरी हो गया है जितना फाइनल एग्जाम।

  • इसमें प्रोजेक्ट वर्क, क्लास टेस्ट और क्लास पार्टिसिपेशन शामिल होंगे।
  • खास बात यह है कि अगर किसी छात्र का आंतरिक मूल्यांकन अधूरा है, तो उसका रिज़ल्ट रोक दिया जाएगा, चाहे उसने लिखित परीक्षा दी हो।

यानि रिपोर्ट कार्ड अब सिर्फ परीक्षा हॉल की नहीं, बल्कि पूरे दो साल की मेहनत की गवाही देगा।

परीक्षा की टिकट सिर्फ उन्हीं को मिलेगी…

CBSE ने साफ कह दिया है कि बोर्ड परीक्षा में बैठने की इजाज़त उन्हीं छात्रों को मिलेगी जिन्होंने:

  1. 75% उपस्थिति पूरी की हो।
  2. आंतरिक मूल्यांकन पूरा किया हो।

ये बदलाव दिखाते हैं कि अब CBSE चाहता है छात्र पढ़ाई को केवल “परीक्षा पास करने का साधन” न मानें, बल्कि एक निरंतर प्रक्रिया की तरह अपनाएँ।

शिक्षा का नया मकसद

CBSE का फोकस साफ है – रटने वाली पढ़ाई से हटकर छात्रों को क्रिटिकल थिंकिंग, विश्लेषणात्मक क्षमता और जीवन कौशल सिखाना। यह कदम शिक्षा को ज़्यादा प्रैक्टिकल और भविष्य उन्मुख बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।

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