ईगास पर्व पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र भट्ट का संदेश
देहरादून, 31 अक्टूबर।
देवभूमि की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर ईगास (बूढ़ी दीपावली) को लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह पर्व केवल दीपों का नहीं, बल्कि उत्तराखंड की लोक आत्मा, लोकसंगीत और लोकपरंपरा का जीवंत उत्सव है।
भट्ट ने अपने लोक संदेश में कहा कि “ईगास देवभूमि की सांस्कृतिक दिव्यता और हमारी परंपराओं की निरंतरता का प्रतीक है। हमें इस विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी अपने पूर्वजों के प्रति।”
गांवों में मनाएं ईगास, नई पीढ़ी तक पहुंचाएं परंपरा
भट्ट ने सभी सांसदों, विधायकों, पार्टी कार्यकर्ताओं और प्रवासी उत्तराखंडवासियों से अपील की कि वे अपने-अपने गांवों में लौटकर पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ ईगास मनाएं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य अपनी रजत जयंती वर्षगांठ मना रहा है, इसलिए इस वर्ष का ईगास पर्व विशेष महत्व रखता है।
उन्होंने कहा कि यह पर्व हमारी जड़ों से जुड़ने का अवसर है—“जब गांवों की चौपालों में दीपक जलेंगे, ढोल-दमाऊं की थाप पर लोकनृत्य होगा, और ईगास का पारंपरिक भोजन बनेगा—तभी यह उत्सव सच्चे अर्थों में ‘महालोकपर्व’ कहलाएगा।”
देश-विदेश तक पहुंची उत्तराखंडी संस्कृति
भट्ट ने गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि संगठन और सरकार के संयुक्त प्रयासों से आज ईगास केवल राज्य की सीमाओं में नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों और विदेशों में बसे उत्तराखंडवासियों द्वारा भी उत्साह से मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा—“यह देखना सुखद है कि पहाड़ों के साथ-साथ मैदानी क्षेत्रों में भी उत्तराखंडवासी अपनी संस्कृति को गर्व से जी रहे हैं।”
चमोली में मनाएंगे पारंपरिक ईगास
भट्ट ने बताया कि वे स्वयं अपने गृह क्षेत्र चमोली जिले के ब्रह्मणथाला गांव में ईगास मनाएंगे, जहां वे स्थानीय जनता के साथ पारंपरिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। वहीं अन्य पार्टी नेता और जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों में जनता के साथ पर्व मनाएंगे।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री आवास में भी मुख्य ईगास कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिसमें अनेक नेता, अधिकारी और प्रदेशवासी शामिल होंगे।
ईगास का संदेश — अपनी जड़ों से जुड़ने का उत्सव
भट्ट ने कहा कि ईगास केवल एक पर्व नहीं, बल्कि अपनी पहचान और संस्कृति के प्रति गर्व का उत्सव है। “रजत जयंती वर्ष के इस अवसर पर हमें इस पर्व को नई ऊर्जा, नई सोच और पुराने मूल्यों के साथ मनाना है।”
