विदेश की धरती से डिजिटल क्रांति: उत्तराखंड की लोकभाषाएँ अब जुड़ेंगी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से — कनाडा-अमेरिका में “भाषा डेटा कलेक्शन पोर्टल” का ऐतिहासिक शुभारंभ

🌍 वैश्विक मंच पर गूँजी देवभूमि की बोली

सरे (वैंकूवर), कनाडा / सिएटल, अमेरिका – 29 अक्टूबर 2025

देवभूमि उत्तराखंड की तीन प्रमुख लोकभाषाएँ — गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी — अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की आधुनिक दुनिया में अपनी पहचान दर्ज कराने जा रही हैं।
कनाडा और अमेरिका की धरती पर “भाषा डेटा कलेक्शन पोर्टल (Bhasha AI Portal)” के शुभारंभ के साथ उत्तराखंड ने डिजिटल युग में एक ऐतिहासिक छलांग लगा दी है।

यह पहल Devbhoomi Uttarakhand Cultural Society Canada द्वारा आयोजित एक भव्य समारोह में की गई, जिसमें प्रवासी उत्तराखंडियों की भारी भागीदारी देखी गई। सरे (वैंकूवर) और सिएटल में एक साथ हुए इस कार्यक्रम में 4000 से अधिक उत्तराखंडी भाई-बहन शामिल हुए।


🎥 मुख्यमंत्री धामी का डिजिटल संदेश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो संदेश के माध्यम से इस पहल का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा —

“जब तक हमारी भाषा जीवित है, हमारी संस्कृति जीवित है। उत्तराखंड सरकार मातृभाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए सदैव तत्पर है और इस ऐतिहासिक पहल में हर संभव सहयोग देगी।”

मुख्यमंत्री ने इस परियोजना को “उत्तराखंड की सांस्कृतिक अस्मिता को डिजिटल युग से जोड़ने वाला युगांतकारी प्रयास” बताया।


📊 क्या है यह “भाषा डेटा कलेक्शन पोर्टल”?

इस AI आधारित पोर्टल के माध्यम से उत्तराखंड की लोकभाषाओं के 10 लाख से अधिक शब्द, वाक्य, कहावतें और कहानियाँ एकत्र की जाएँगी।
इन डेटा का उपयोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्लेटफ़ॉर्म भविष्य में गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी में संवाद करने के लिए करेगा — यानी आने वाले समय में ChatGPT जैसे AI मॉडल आपकी लोकभाषा में भी बात कर सकेंगे।


🎶 लोक संस्कृति की गूंज — पद्मश्री प्रीतम भारतवाण का संदेश

लोकगायक पद्मश्री प्रीतम भारतवाण ने कर्णप्रयाग (बद्रीनाथ क्षेत्र) से ऑनलाइन जुड़कर कहा —

“जब तक हमारी भाषा जीवित है, हमारी संस्कृति और पहचान जीवित है। भाषा बचेगी तो संस्कार भी बचेंगे।”

उन्होंने अपनी जागर एवं ढोल सागर अकादमी की ओर से इस परियोजना को हरसंभव सहयोग देने की घोषणा की।


💻 तकनीकी दृष्टिकोण से ऐतिहासिक कदम

सचिदानंद सेमवाल, अमेरिका स्थित AI आर्किटेक्ट और इस प्रोजेक्ट के तकनीकी प्रमुख, ने कहा —

“यह केवल तकनीकी पहल नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ने का एक सामाजिक आंदोलन है।
अपने 20 वर्षों के इंजीनियरिंग और 4 वर्षों के AI अनुभव को मातृभाषा के संरक्षण में लगाने से बड़ा सौभाग्य जीवन में और क्या होगा।”

उन्होंने बताया कि यह अभियान एक जन-आंदोलन के रूप में चलेगा और इसमें भाषा विशेषज्ञ, कलाकार, समाजसेवी और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ सबका स्वागत रहेगा।


🇨🇦 आयोजकों का दृष्टिकोण

Devbhoomi Uttarakhand Cultural Society Canada के अध्यक्ष बिशन खंडूरी ने कहा —

“विदेश में रह रहे उत्तराखंडियों के लिए यह पहल गौरव का विषय है। यह हमारी नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखने वाला प्रयास है।”

कार्यक्रम में सोसाइटी ने घोषणा की कि कनाडा और अमेरिका में “AI सक्षम भाषा शिक्षण केंद्र” (AI-enabled Learning Centers) स्थापित किए जाएँगे, जहाँ प्रवासी बच्चे आधुनिक तकनीक की सहायता से अपनी मातृभाषाएँ सीख सकेंगे।
ये केंद्र पद्मश्री प्रीतम भारतवाण जी की जागर अकादमी से संबद्ध रहेंगे।


👥 मंच पर उपस्थित प्रमुख हस्तियाँ

कार्यक्रम में मुख्य रूप से सम्मिलित रहे —

  • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (वीडियो संदेश)
  • पद्मश्री प्रीतम भारतवाण
  • सचिदानंद सेमवाल (AI आर्किटेक्ट, अमेरिका)
  • अमित कुमार
  • बिशन खंडूरी (अध्यक्ष, सोसाइटी)
  • मुरारीलाल थपलियाल (टोरंटो)
  • भारत दूतावास के प्रतिनिधि

भारत से ऑनलाइन जुड़े — मस्तू दास जी, शक्ति प्रसाद भट्ट जी, के.एस. चौहान जी और प्रोजेक्ट की कोर टीम, जिन्होंने इस परियोजना को दिशा देने में विशेष भूमिका निभाई।


📡 प्रवासी उत्तराखंडियों की एकता और गर्व

कार्यक्रम में कनाडा के स्थानीय मीडिया, भारतीय दूतावास के अधिकारी, AI विशेषज्ञ, सांस्कृतिक संगठन और हजारों उत्तराखंडी प्रवासी शामिल हुए।
पूरा आयोजन “लोकभाषा से लोकगौरव तक” की भावना को मूर्त रूप देने वाला बना।


🌿 एक तकनीकी नहीं, सांस्कृतिक आंदोलन

यह पहल केवल डिजिटल नवाचार नहीं, बल्कि अपनी पहचान और विरासत को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का सांस्कृतिक आंदोलन है।
AI और लोकभाषा का यह संगम उत्तराखंड के भविष्य को वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में नई ऊँचाई देने वाला है।

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