छात्रसंघ चुनावों की मांग से फिर गरमाई सियासत, सीएम से लेकर मंत्री पद तक पहुंचे हैं छात्रनेता

छात्रसंघ की राजनीति से सत्ता के दरवाजे तक पहुंचे पूर्व सीएम अशोक गहलोत, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत सहित कई नेता राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव करवाए जाने की मांग सरकार से कर रहे हैं लेकिन इन चुनावों को लेकर तमाम दिग्गजों के इतने सक्रिय होने की बड़ी वजह है कि राजनीति के कई क्षत्रप छात्रसंघ के रास्ते ही सत्ता की सीढ़ियों तक पहुंचे हैं। छात्रसंघ चुनाव जीतने वाले छात्र नेताओं को ज्यादातर पार्टियां विधानसभा चुनावों में अपना प्रत्याशी बनाती रही हैं और इनमें से अधिकांश चुनाव जीतकर विधानसभा भी पहुंचे हैं।

राजस्थान की बात करें तो पूर्व सीएम अशोक गहलोत छात्रसंघ की राजनीति से ही आगे बढ़े हैं। राजस्थान में जयपुर और जोधपुर विश्वविद्यालय ने सबसे ज्यादा नेता दिए हैं। राजस्थान यूनिवर्सिटी में 1968 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे ज्ञानसिंह चौधरी बाद में मंत्री बने। इसके बाद 1974-75 में आरयू के अध्यक्ष रहे कालीचरण सर्राफ कई बार मंत्री रहे और मौजूदा समय में मालवीय नगर विधायक हैं।

बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार राजेंद्र राठौड़ भी राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं। पिछली सरकार में पीएचइडी मंत्री महेश जोशी  भी 1979-80 में राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे थे। वहीं 1980-81 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे राजपाल सिंह शेखावत पूर्ववर्ती सरकार में उद्योग मंत्री रहे थे। पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे तथा गुजरात के प्रभारी रह चुके रघु शर्मा भी 1981-86 तक राजस्थान यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रह चुके हैं।

बेनीवाल और भाटी को भी छात्रसंघ ने नेता बनाया

राजस्थान के दिग्गज नेताओं में शामिल हनुमान बेनीवाल भी छात्रसंघ की राजनीति से ही विधानसभा और संसद तक पहुंचे। बेनीवाल 1997-98 में अध्यक्ष रहे। इनके अलावा पिछली सरकार के मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी भी 1995-96 में राजस्थान विवि अध्यक्ष रहे हैं। पूववर्ती सरकार में सीएम सलाहकार मंडल के सदस्य राजकुमार शर्मा 1999-2000 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे थे। बीजेपी विधायक और पूर्व मेयर अशोक लाहोटी 2000-01 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं। इसके अलावा 2002-03 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे पुष्पेंद्र भारद्वाज कांग्रेस के विधायक प्रत्याशी रह चुके हैं। इनके अलावा मौजूदा विधायक मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया भी छात्र राजनीति से ही निकले हैं।

वहीं शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी भी जोधपुर यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं। कांग्रेस और बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद वे निर्दलीय ही विधानसभा चुनाव जीते हैं।

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