उत्तराखंड

हाईकोर्ट की फटकार के बाद नहीं हुई लोकायुक्त की नियुक्ति, अधर में लटका मामला

उत्तराखंड में एक बार फिर लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला लटकता हुआ नजर आ रहा है। उत्तराखंड सरकार को हाईकोर्ट से मिली फटकार के बाद भी अब तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हो पाई है। हालांकि सरकार द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया तो शुरू की गई थी लेकिन फिर भी मामला लटका हुआ ही है।

हाईकोर्ट की फटकार के बाद नहीं हुई लोकायुक्त की नियुक्ति

उत्तराखंड में लोकायुक्त का मामला जहां समय-समय पर चर्चाओं में रहता है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद सरकार के द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया तो शुरू की गई लेकिन बैठक न होने से मामला लटकता हुआ नजर आ रहा है। ऐसे में सरकार और विपक्ष पर भी लोकायुक्त के गठन को लेकर गंभीर नहीं होने के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में लोकायुक्त के चयन का मामला एक बैठक से दूसरी बैठक पर टाल दिया जा रहा है।

विपक्ष भी लोकायुक्त को लेकर गंभीर नहीं

लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर ना केवल सरकार बल्कि विपक्ष भी गंभारी नजर नहीं आ रहा है। लोकायुक्त चयन समिति के सदस्य नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी अक्सर बैठक से नदारद रहते हैं जिस कारण बैठक स्थगित कर दी जाती है। ये जानकारी आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी द्वारा आरटीआई के माध्यम से उजागर हुई।

विकेश नेगी का कहना है कि हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस विपिन सांघवी और जस्टिस राकेश थपलियाल ने 27 जून 2023 को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश को लोकायुक्त नियुक्त करने के आदेश दिए थे। अपने आदेश में बेंच ने कहा कि आठ सप्ताह की अवधि में ये नियुक्ति की जाए।

लोकायुक्त को लेकर हुई बैठकों का नतीजा शून्य

हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में एक चयन समिति का गठन किया। इसमें सीएम के अलावा नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा अध्यक्ष, हाईकोर्ट के एक जज और एक अन्य सदस्य की नियुक्ति की जानी थी। पिछले डेढ़ साल में इतना ही हुआ है कि अब इस समिति में पूर्व जस्टिस एमएम घिल्डियाल को सदस्य नियुक्त किया गया है।

आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी को मिली जानकारी के अनुसार लोकायुक्त को लेकर बैठक दर बैठक होती रही और नतीजा शून्य रहा। दो बैठकों में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य मौजूद नहीं रहे तो कोई निर्णय नहीं हो सका। गौरतलब है कि लोकायुक्त भाजपा के 2017 के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था। सात साल बाद भी भाजपा सरकार इस पर अमल नहीं कर पा रही है। यही नहीं लोकायुक्त में 24 कर्मचारियों की तैनाती भी की गई है। ये सभी कर्मचारी बिना काम के ही वेतन हासिल कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने इन कर्मचारियों के कार्यों और पदों को लेकर भी सरकार से जवाब तलब किया है।

उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं चाहती सरकार

विकेश नेगी इस पूरे मामले में कहना है कि वो लोकायुक्त की नियुक्ति के मामले में सरकार के खिलाफ अवमानना नोटिस डालेंगे या फिर एक नई जनहित याचिका कोर्ट में दायर करेंगे। तो वहीं लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर बैठकों में न पहुंचने को लेकर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी विपक्ष पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

उनका कहना है कि विपक्ष भी लोकायुक्त के मामले को लटकाने का काम कर रहा है। तो वहीं कांग्रेस का कहना है कि सरकार चाहती नहीं है उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति हो इसलिए ऐसे समय पर लोकायुक्त के चयन को लेकर बैठकर रखी जाती है जिस समय नेता प्रतिपक्ष पहले से ही अपने कार्यक्रम तय कर देते हैं। हो सकता है इसलिए भी यशपाल आर्य कई बार बैठकों में न पहुंचे हो।

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