अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट पर तमाम दावेदारों के बीच वर्तमान सांसद अजय टम्टा टिकट पाने में रहे। बीते तीन चुनाव से उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रदीप टम्टा से हो रहा है। ऐसे में प्रश्न उठ रहा है कि अब चौथी बार दोनों टम्टा के बीच परंपरागत जंग जारी रहेगी या कांग्रेस नई चाल चलकर भाजपा को चौंकाएगी।
अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट वर्ष 2009 में आरक्षित हुई थी। तब चुनाव में कांग्रेस ने प्रदीप टम्टा तो भाजपा ने अजय टम्टा पर दांव खेला। इस चुनाव में प्रदीप टम्टा बाजी मारने में कामयाब रहे। 2014 में फिर प्रदीप व अजय आमने-सामने आए, पर इस बार बाजी पलट गई।
अजय टम्टा ने बड़े अंतर से जीत दर्ज कर प्रदीप से हार का बदला चुकाया। यह सिलसिला 2019 में भी जारी रहा। इस बार भी अजय हावी रहे और प्रदीप को हार का मुंह देखना पड़ा।
अब भाजपा ने चौथी बार फिर अजय पर दांव खेला है। ऐसे में देखना रोचक होगा कि क्या कांग्रेस भी प्रदीप टम्टा को ही मैदान में उतारेगी या कोई नया दांव खेलकर समीकरण बदलने की चाल चलेगी।
रोमांचक रहा था दोनों का पहला मुकाबला
देश में वर्ष 2004 से वर्ष 2014 तक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार रही। वर्ष 2009 में आरक्षण लागू होने के बाद प्रदीप टम्टा को कांग्रेस ने पहली बार मैदान में उतारा।
भाजपा के अजय टम्टा ने उन्हें कड़ी टक्कर दी। रोमांचक मुकाबले में प्रदीप ने अजय टम्टा को 6950 मतों से हराया। जीत-हार का प्रतिशत महज दो फीसदी ही रहा।
मोदी लहर में बढ़ गया हार-जीत का अंतर
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़े गए आम चुनाव में अजय टम्टा ने 95690 मतों से प्रदीप टम्टा को हराया। इस बार हार जीत का अंतर प्रतिशत 15 फीसदी रहा।
लेकिन यह अंतर 2019 के चुनाव में कई अधिक बढ़ गया। तब अजय टम्टा ने प्रदीप टम्टा को 232986 मतों से मात दी। हार जीत के अंतर भी दोगुना से अधिक 34 प्रतिशत तक पहुंच गया।
दोनों के बीच 2007 से चला आ रहा मुकाबला
सांसद अजय टम्टा और पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा के बीच चुनावी लड़ाई लोकसभा तक ही सीमित नहीं रही है। इससे पूर्व दोनों पहली बार वर्ष 2007 में सोमेश्वर विधानसभा सीट पर चुनाव के दौरान आमने-सामने आए थे। तब अजय टम्टा ने प्रदीप टम्टा को 1513 मतों से हराकर विधायकी हासिल की थी। इसके बाद से दोनों दिग्गज लोकसभा में आमने-सामने रहे।