राजस्थान

राजस्थान यूनिवर्सिटी का 79वां स्थापना दिवस, नए पुराने अचीवर्स को किया सम्मानित

राजस्थान विश्वविद्यालय 79 साल का हो गया. इस मौके पर यूनिवर्सिटी के नए पुराने अचीवर्स को सम्मानित किया गया. इस दौरान विभिन्न विभागों की उपलब्धियां से जुड़ी प्रदर्शनी भी लगाई गई. साथ ही संकल्प लिया गया कि 80वें स्थापना दिवस तक नेक ग्रेड के साथ बदला हुआ राजस्थान विश्वविद्यालय देखने को मिलेगा.

कुलपति अल्पना कटेजा ने बताया कि राजस्थान विश्वविद्यालय के 79वें स्थापना दिवस पर विश्वविद्यालय के जितने भी अचीवर्स हैं उन्हें भी याद किया गया है. उन्हें सम्मानित भी किया गया. जिस तरह शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को उनके अच्छे रिसर्च के लिए सम्मानित किया था. महिला दिवस पर महिला साथी कर्मचारियों को सम्मानित किया था. ऐसे में स्थापना दिवस पर पहल करते हुए विश्वविद्यालय का मान-प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित करने का फैसला लिया गया. इससे दूसरे विद्यार्थियों को भी मोटिवेशन मिलेगा. उन्होंने कहा कि जब राजस्थान विश्वविद्यालय का 80वां फाऊंडेशन डे मनाया जाएगा तब बदला हुआ विश्वविद्यालय देखने को मिलेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि नेक की रैंकिंग के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन जुटा हुआ है. विश्वविद्यालय अपनी ग्रेड के अंतिम सोपान पर है.

इसकी स्थापना 8 जनवरी 1947 राजपूताना विश्वविद्यालय के नाम से की गई थी. वर्ष 1956 में बदलकर राजस्थान विश्वविद्यालय किया गया. अंग्रेजी शासनकाल में स्थापित होने वाला ये आखिरी विश्वविद्यालय है. स्थापना के समय से यूजीसी नई दिल्ली अधिनियम की धारा 2 एफ और 12 बी के तहत इस यूनिवर्सिटी को मान्यता मिली थी. 22 कॉलेजों के साथ शुरू होने वाले राजस्थान विश्वविद्यालय से आज 615 संबद्ध कॉलेज हैं. यहां से निकले विद्यार्थियों ने राज्य में ही नहीं, बल्कि देशभर में नाम रोशन किया है. ऐसे ही अचीवर्स को राजस्थान विश्वविद्यालय 79वें स्थापना दिवस पर सम्मानित किया गया.

राजस्थान विश्वविद्यालय के मानविकी पीठ में हुए कार्यक्रम में पहली बार खेल, प्रशासनिक एवं न्यायिक सेवा में स्थान पाकर यूनिवर्सिटी का नाम न केवल राज्य में बल्कि देश-विदेश में रोशन करने वालों को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्र सरकार के सचिव वी. श्रीनिवास और विशिष्ट अतिथि के रूप में भारतीय विदेश सेवा से सेवानिवृत्त पूर्व राजदूत एवं भारतीय उच्चायुक्त रहे डॉ. गौरी शंकर गुप्ता रहे.

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