नई दिल्ली: उच्च शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राजस्थान के तीन विश्वविद्यालयों पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये तीन विश्वविद्यालय हैं:
- ओपीजेएस यूनिवर्सिटी, चूरू
- सनराइज यूनिवर्सिटी, अलवर
- सिंघानिया यूनिवर्सिटी, झुंझुनूं
यह फैसला तब लिया गया जब ओपीजेएस यूनिवर्सिटी, चूरू से फर्जी डिग्री बांटने के एक बड़े रैकेट का मामला सामने आया। इस मामले ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यूजीसी का सख्त कदम: पीएचडी में नामांकन पर रोक
यूजीसी ने इन विश्वविद्यालयों में पीएचडी कार्यक्रमों में नामांकन पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। यह कदम फर्जी डिग्री के प्रसार और शिक्षा की विश्वसनीयता पर बढ़ते खतरों को देखते हुए उठाया गया है।
राजस्थान सरकार की पहले की गई कार्रवाई
राजस्थान सरकार ने पहले ही इन विश्वविद्यालयों पर कड़ी कार्रवाई की थी।
- नए नामांकन पर रोक: राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने इन संस्थानों में सभी पाठ्यक्रमों में नए नामांकन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- डिग्री की जांच: पिछले तीन सत्रों में जारी की गई डिग्रियों की विस्तृत जांच की जा रही है।
- संभावित फर्जी डिग्री का आंकड़ा: बताया जा रहा है कि करीब 50,000 से अधिक फर्जी डिग्रियां जारी की जा चुकी हैं।
फर्जी डिग्री रैकेट न केवल छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करता है, बल्कि इससे शिक्षा व्यवस्था की साख पर भी बुरा असर पड़ता है। ओपीजेएस यूनिवर्सिटी का मामला सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि इस तरह की गतिविधियों के लिए संस्थानों का इस्तेमाल किया जा रहा था।
इस मामले को देखते हुए छात्रों और अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने से पहले उसकी मान्यता और विश्वसनीयता की पूरी जांच कर लें। यूजीसी और संबंधित राज्य सरकारों की आधिकारिक वेबसाइटों पर सूचीबद्ध मान्यता प्राप्त संस्थानों की जानकारी प्राप्त करें।
फर्जी डिग्री रैकेट का पर्दाफाश भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक चेतावनी है। यह घटना यह समझने के लिए पर्याप्त है कि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और निगरानी को बढ़ाने की सख्त जरूरत है। यूजीसी और राज्य सरकारों को इस दिशा में और कदम उठाने चाहिए ताकि छात्रों और समाज को ऐसे घोटालों से बचाया जा सके।