उत्तर भारत में मौसम का फिर बिगड़ेगा मिजाज: कई राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी, उत्तराखंड में यैलो अलर्ट जारी
नई दिल्ली: राजस्थान के ऊपर विकसित हुआ एक मध्यम स्तर का कम दबाव का क्षेत्र (Moderate WD system) उत्तर भारत के मौसम को प्रभावित करने वाला है। यह सिस्टम उत्तरी-पूर्वी दिशा में तेजी से बढ़ते हुए हरियाणा, पंजाब, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में असर डालेगा। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इसका सबसे बड़ा प्रभाव आज रात और कल 23 जनवरी की शाम तक देखने को मिलेगा।
प्रभावित क्षेत्रों में अनुमति जोखिम
- राजस्थान: कम दबाव का क्षेत्र विकसित हो चुका है और इसके चलते राज्य के कई हिस्सों में बारिश और तेज हवाओं का अनुमान है।
- हरियाणा और पंजाब: इन राज्यों में रात के समय भारी बारिश के साथ ओलावृष्टि और तेज हवाएं हो सकती हैं।
- दिल्ली-एनसीआर: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मध्यम से भारी बारिश और सर्द हवाओं का असर रहेगा।
- उत्तर प्रदेश: पश्चिमी और मध्य हिस्सों में तेज बारिश और गरज के साथ बिजली गिरने की संभावना है।
- उत्तराखंड: पहाड़ी इलाकों में बारिश के साथ बर्फबारी का अनुमान है, जिससे ठंड बढ़ सकती है।
रात में अधिक प्रभाव का अनुमान
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मौसम प्रणाली मुख्यतः रात के समय अधिक सक्रिय होगी, जिससे इन क्षेत्रों में रातभर तेज बारिश हो सकती है। सुबह के समय धुंध और निचले स्तर पर बादलों के कारण दृश्यता कम रहेगी।
क्या करें और क्या न करें?
- क्या करें:
- अनावश्यक यात्रा से बचें।
- बारिश के समय सुरक्षित स्थानों पर रहें।
- बिजली गिरने की संभावना को देखते हुए खुले स्थानों से दूर रहें।
- वाहन चलाते समय सतर्क रहें, खासकर रात में।
- क्या न करें:
- पानी भरे क्षेत्रों में प्रवेश करने से बचें।
- क्षतिग्रस्त बिजली के खंभों और तारों से दूर रहें।
कृषि पर प्रभाव
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में इस मौसम प्रणाली का असर रबी फसलों पर पड़ सकता है। ओलावृष्टि और तेज हवाओं से सरसों और गेहूं की फसल को नुकसान हो सकता है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसलों को ढकने और पानी निकासी की उचित व्यवस्था करें।
यह मौसम प्रणाली उत्तर भारत के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। अगले 24 घंटों में मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल सकता है। आम जनता और प्रशासन को सतर्क रहने और आवश्यक तैयारियां करने की सलाह दी जाती है।
सूचना स्रोत: @MeteoredUS मॉडल और मौसम विज्ञान विशेषज्ञों का विश्लेषण।