पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी, जो 1990 के दशक में अपने बोल्ड और ग्लैमरस किरदारों के लिए जानी जाती थीं, अब आध्यात्मिक जीवन की ओर पूरी तरह अग्रसर हो गई हैं। ममता कुलकर्णी ने हाल ही में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि ग्रहण कर ली है।
‘पिंड दान’ कर छोड़ा भूतकाल
ममता कुलकर्णी ने अपने भूतकाल, वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए ‘पिंड दान’ किया, जो सन्यास जीवन की ओर पहला बड़ा कदम माना जाता है। इस अनुष्ठान के जरिए उन्होंने अपने सांसारिक जीवन से पूरी तरह मुक्ति पा ली।
“मेरी तपस्या 2000 से जारी है”
इस मौके पर ममता कुलकर्णी ने कहा, “मेरी तपस्या वर्ष 2000 से जारी है। आज इतने वर्षों के बाद, मैंने सन्यासी जीवन को पूरी तरह अपना लिया है।” उन्होंने यह भी बताया कि यह यात्रा उनके लिए आत्मिक शांति और मोक्ष की ओर एक कदम है।
फिल्मी दुनिया से आध्यात्मिक जीवन तक का सफर
ममता कुलकर्णी ने 90 के दशक में बॉलीवुड में एक के बाद एक हिट फिल्में देकर अपनी पहचान बनाई थी। उनकी फिल्मों और व्यक्तित्व ने उन्हें उस दौर की चर्चित अभिनेत्रियों में शामिल किया। लेकिन 2000 के बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया से दूरी बना ली। इसके बाद वह अध्यात्म की ओर मुड़ गईं।
किन्नर अखाड़े में मिली सम्मानित उपाधि
ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े द्वारा महामंडलेश्वर की उपाधि से सम्मानित किया गया। यह उपाधि उन्हें उनके आध्यात्मिक समर्पण और साधना के लिए प्रदान की गई है। किन्नर अखाड़ा एक ऐसा संगठन है, जो आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों के जरिए समाज में समानता और जागरूकता का संदेश देता है।
ममता कुलकर्णी का यह रूप उनके प्रशंसकों और आम जनता के लिए चौंकाने वाला हो सकता है, लेकिन यह उनके आध्यात्मिक सफर और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है। उनका यह कदम दिखाता है कि जीवन के किसी भी पड़ाव पर नई दिशा और मकसद चुना जा सकता है।