उत्तराखंड से बाहर रहने वालों पर भी लागू होगा UCC, लिव-इन से लेकर डिवोर्स तक क्या नियम- बड़े पॉइंट

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है। इसी के साथ लिव-इन, हलाला से लेकर डिवोर्स तक के नियमों में काफी बदलाव आ गया है। यूसीसी में सभी धर्मों में पुरुषों और महिलाओं के लिए एक समान कानून होगा। यानी इसमें समान शादी की उम्र, तलाक के आधार और प्रक्रियाएं तय गईं हैं जबकि बहुविवाह और ‘हलाला’ पर प्रतिबंध लगाया गया है। यूसीसी के दायरे में कौन-कौन आएगा, क्या नियम है और क्या-क्या बदलाव हुआ है, पढ़िए 10 बड़ी बातें-

यूसीसी के दायरे में कौन-कौन?

यूसीसी अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, पूरे उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू होगा।

शादियों के रजिस्ट्रेशन के लिए क्या नियम

यूसीसी लागू होने के बाद सभी शादियों के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी हो गया है। इसका कट ऑफ 26 मार्च 2010 रखा गया है यानी इस तारीख से अब तक हुई सभी शादियों का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। नियम के मुताबिक 26 मार्च 2010, से यूसीसी लागू होने की तारीख के बीच हुई शादियों का रजिस्ट्रेशन अगले छह महीने में करवाना होगा जबकि यूसीसी लागू होने के बाद होने वाली शादियों का रजिस्ट्रेशन 60 दिन के भीतर कराना होगा।

लिव इन रजिस्ट्रेशन के नियम

शादी की ही तरह लिव इन के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा और माता पिता की अनुमति भी लेनी होगी। नियम के मुताबिक यूसीसी लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का, यूसीसी होने की तारीख से एक महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जबकि यूसीसी होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन, लिवइन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर रजिस्टर कराना होगा।

लिव इन में मां गर्भवती हो जाती है तो क्या होगा

अगर लिव इन से महिला गर्भवती हो जाती है तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी। बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा।

हलाला और बहुविवाह पर क्या नियम

यूसीसी लागू होने के बाद इस्लाम में प्रचलित हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाओं पर रोक लगा दी गई है।

तलाक के लिए क्या नियम

शादी की तरह तलाक का भी रजिस्ट्रेशन हो सकेगा। तलाक के लिए आवेदन करते समय, विवाह रजिस्ट्रेशन, तलाक की डिक्री का विवरण अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी जरूरी होगी।

संपत्ति में बेटा-बेटी को बराबर हक

यूसीसी लागू होने के बाद अब संपत्ति में बेटा और बेटी का बराबर का हक रहेगा और इनमें किसी तरह का भेदभाव नहीं होगा। चाहें वह शादी के बाद प्रांकृतिक संबंधों से जन्मे बच्चे हों या सरोगेसी से या फिर लिव इन से जन्मे बच्चे हो, सबतो संपत्ति में बराबर का हक मिलेगा। वहीं वसीयत तीन तरह से हो सकेगी। पोर्टल पर फार्म भरके, हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयड अपलोड करके या तीन मिनट की विडियो में वसीयत बोलकर अपलोड करने के जरिए। वहीं यूसीसी में सैनिकों के लिए भी ‘प्रिविलेज्ड वसीयत’ का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत सक्रिय सेवा या जोखिम वाले स्थानों पर तैनाती के दौरान अपनी हस्तलिखित या मौखिक रूप से निर्देशित वसीयत बना सकते हैं

सभी धर्मों के लिए शादी की एक ही उम्र

अभी तक सभी धर्म अपने-अपने रिती रिवाजों के अनुसार सही उम्र मानकर लड़के लड़कयों की शादी करते थे। लेकिन यूसीसी में सभी धर्मों के लिए शादी के लिए लडकों की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों के लिए 18 कर दी गई है।

रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन पोर्टल

शादियों और लिव इन रिलेशन के रजिस्ट्रेशन के लिए वेबसाइट भी बनाई गई है। ऑनलाइन आवेदन के लिए पोर्टल ucc.uk.gov.in पर जाना होगा।

कैसे लागू हुआ यूसीसी

यूसीसी के लिए 27 मई, 2022 को विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था और लगभग ढाई वर्ष की कड़ी तैयारियों के बाद इसे आज लागू किया गया। विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट 02 फरवरी, 2024 को सरकार को सौंपी। इसके बाद 08 मार्च, 2024 को विधानसभा में इसका विधेयक पारित किया गया। विधानसभा से पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा गया। यहां से 12 मार्च, 2024 को इस अधिनियम पर राष्ट्रपति का अनुमोदन मिल गया। इसके बाद यूसीसी के क्रियान्वयन के लिए तकनीक आधारित व्यवस्थाएं लागू की गईं। नागरिकों और अधिकारियों के लिए ऑनलाइन पोर्टल विकसित किए गए। बीती 20 जनवरी को यूसीसी की नियमावली को अंतिम रूप देकर कैबिनेट ने इसे पारित कर दिया। पिछले कई दिनों पोर्टल पर तत्संबंधी पंजीकरण के लिए विभिन्न स्तरों पर मॉक ड्रिल की गई।

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