अयोध्या, जिसे भगवान श्रीराम की पावन भूमि माना जाता है, आज क्रूरता और अन्याय की गवाह बन गई है। ग्रामसभा सहनवां (सरदार पटेल वार्ड) में एक दलित परिवार की बेटी, जो तीन दिन से लापता थी, का शव निर्वस्त्र अवस्था में मिला। यह कोई साधारण हत्या नहीं, बल्कि मानवता को झकझोर देने वाली बर्बरता है। बच्ची की दोनों आँखें फोड़ दी गईं, उसके साथ अमानवीय अत्याचार हुआ, और अंत में उसकी नृशंस हत्या कर दी गई।
अगर पुलिस सतर्क होती, तो शायद बच जाती मासूम की जान
परिवार ने तीन दिन पहले ही अपनी बच्ची के लापता होने की सूचना पुलिस को दी थी, लेकिन प्रशासन की लापरवाही ने इस घिनौने अपराध को होने दिया। अगर पुलिस तुरंत हरकत में आती, तो शायद बच्ची को बचाया जा सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और आज एक दलित बेटी की चीखें इंसाफ की गुहार लगा रही हैं।
सपा सांसद अवधेश प्रसाद की भावुक अपील: “प्रधानमंत्री से मिलूंगा या इस्तीफा दे दूंगा!”
इस घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अवधेश प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस हृदयविदारक घटना पर आंसू बहाए और भावुक होकर कहा:
“मुझे लोकसभा जाने दीजिए, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलूंगा। अगर इस बच्ची को न्याय नहीं मिला, तो मैं संसद से इस्तीफा दे दूंगा। आखिर कब तक हमारी बेटियां असुरक्षित रहेंगी?”
उनकी यह अपील सिर्फ एक सांसद की नहीं, बल्कि पूरे समाज की पुकार है।
उत्तर प्रदेश सरकार से ये 2 प्रमुख मांगें उठाई जा रही हैं:
- दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कठोरतम सजा दी जाए।
- जिन पुलिसकर्मियों ने इस मामले में लापरवाही बरती, उन पर कार्रवाई हो और पीड़ित परिवार को ₹1 करोड़ का मुआवजा मिले।
कब तक सहेंगे यह अन्याय?
हर बार जब कोई बेटी इस तरह की बर्बरता का शिकार होती है, तब सरकारें बयान जारी करती हैं, प्रशासन जांच के आदेश देता है, लेकिन हकीकत में बदलाव बहुत धीमा है।
क्या इस बच्ची को न्याय मिलेगा, या यह मामला भी हजारों अन्य मामलों की तरह धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? क्या सरकार अपराधियों को ऐसी सजा देगी कि कोई दोबारा ऐसी घिनौनी हरकत करने की हिम्मत न करे?
इस सवाल का जवाब यूपी सरकार, प्रधानमंत्री मोदी और पूरे सिस्टम को देना होगा—क्योंकि अब यह सिर्फ एक बच्ची का मामला नहीं, बल्कि पूरे देश की बेटियों की सुरक्षा का सवाल है।