तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 8 कर्मचारियों को सुरक्षित निकालने के लिए बड़े स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में अब देश के जाने-माने रैट माइनर्स की एक विशेष टीम को भी शामिल किया गया है। बताया जा रहा है कि छह सदस्यीय यह टीम घटना स्थल पर पहुंच गई है, जबकि एक अन्य टीम मंगलवार तक नागरकुरनूल पहुंचेगी।
क्या है पूरा मामला?
नागरकुरनूल में एक निर्माणाधीन सुरंग में अचानक भूस्खलन होने से 8 कर्मचारी उसमें फंस गए। उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन लगातार प्रयास कर रहे हैं। लेकिन जटिल परिस्थितियों को देखते हुए अब इस ऑपरेशन में रैट माइनर्स को शामिल किया गया है।
कौन होते हैं रैट माइनर्स?
रैट माइनर्स वे विशेष प्रशिक्षित श्रमिक होते हैं, जो संकरी और कठिन जगहों पर खुदाई कर लोगों को सुरक्षित निकालने में माहिर होते हैं। इनका नाम ‘रैट माइनिंग’ तकनीक से लिया गया है, जिसमें सुरंगनुमा संकरे रास्तों से होकर अंदर फंसे लोगों तक पहुंचा जाता है।
सिलक्यारा टनल हादसे में निभाई थी अहम भूमिका
साल 2023 में उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग हादसे में 41 मजदूरों के फंसे होने की घटना सामने आई थी। उस वक्त इन्हीं रैट माइनर्स ने अपनी तकनीक और अदम्य साहस से मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला था। उस मिशन के बाद ये विशेषज्ञ ‘सिलक्यारा के हीरो’ के रूप में मशहूर हो गए। अब वे एक बार फिर तेलंगाना के नागरकुरनूल में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए मैदान में उतरे हैं।
कैसे होगा बचाव अभियान?
रैट माइनर्स छोटे-छोटे संकरी रास्तों से खुदाई कर अंदर फंसे लोगों तक पहुंचेंगे। इस तकनीक में सावधानी और धैर्य की जरूरत होती है क्योंकि एक छोटी सी गलती भी जानलेवा हो सकती है।
प्रशासन और परिजनों की उम्मीदें
इस मिशन में रैट माइनर्स के शामिल होने से प्रशासन और परिजनों को बड़ी राहत मिली है। सभी को उम्मीद है कि जल्द ही फंसे हुए सभी कर्मचारी सुरक्षित बाहर आ जाएंगे।
देशभर की निगाहें इस बचाव अभियान पर टिकी हैं, और एक बार फिर रैट माइनर्स के साहस और विशेषज्ञता की परीक्षा होगी।