बॉलीवुड की दुनिया बाहर से जितनी रंगीन, चमकदार और सपनों से भरी हुई लगती है, भीतर से उतनी ही कड़वी, काली और रहस्यों से भरी हुई है। जो दिखता है, वह होता नहीं। पर्दे पर दिखने वाली हंसी, बेफिक्री और ग्लैमर के पीछे एक अंधेरा सच छिपा है, जिसे अक्सर दबा दिया जाता है। इस इंडस्ट्री में जातिवाद, क्षेत्रवाद, ड्रग्स, मानसिक बीमारियाँ, कास्टिंग काउच, अंडरवर्ल्ड से संबंध और विवाहेतर संबंध जैसी कड़वी सच्चाइयाँ गहरी जड़ें जमा चुकी हैं।
1. बॉलीवुड में जातिवाद, रंगभेद और क्षेत्रवाद
क्या आपने कभी सोचा है कि बॉलीवुड में कौन से चेहरे ज्यादा सफल होते हैं? क्या वजह है कि सांवले रंग वाले अभिनेताओं को मुख्यधारा में कम मौके मिलते हैं?
बिपाशा बसु, स्मिता पाटिल, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और मनोज बाजपेयी जैसे कलाकारों को सिर्फ अपने टैलेंट के दम पर नाम बनाना पड़ा, क्योंकि इनका रंग-रूप बॉलीवुड के पारंपरिक सौंदर्य मानकों में फिट नहीं बैठता था। धनुष जैसे टैलेंटेड अभिनेता को भी यह झेलना पड़ा कि वे “साउथ इंडियन” दिखते हैं, यानी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के “गुड लुकिंग” स्टैंडर्ड में फिट नहीं बैठते।
2. ड्रग्स: नशे में डूबी हुई इंडस्ट्री
संजय दत्त, रणवीर सिंह और रणबीर कपूर की ड्रग्स की लत के किस्से तो जगजाहिर हैं, लेकिन असलियत इससे कहीं ज्यादा भयावह है। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद जब जांच हुई, तो एक के बाद एक नाम सामने आते गए। रिया चक्रवर्ती से लेकर सारा अली खान और रकुल प्रीत सिंह तक, बॉलीवुड में ड्रग्स का गहरा जाल फैला हुआ है। नाइट पार्टियों में नशे का धंधा खुलेआम चलता है, लेकिन कोई कुछ कहने की हिम्मत नहीं करता।
3. मानसिक बीमारियों की गहरी मार
ग्लैमर, पैसा और शोहरत—इन सबके बावजूद बॉलीवुड के सितारे अंदर से कितने अकेले और टूटे हुए हैं, यह कई बार सामने आ चुका है। दीपिका पादुकोण ने खुलकर अपने डिप्रेशन की बात की, शाहरुख खान और आमिर खान जैसे सितारों ने भी मानसिक तनाव को स्वीकार किया। लेकिन सवाल यह है कि जब हर चीज उनके पास थी, तब भी ऐसा क्यों हुआ? इसका जवाब है—इस इंडस्ट्री का असली चेहरा, जो बाहर से जितना चमकदार है, अंदर से उतना ही खोखला।
4. कम उम्र में वर्जिनिटी खोने का ट्रेंड?
रणवीर सिंह ने खुद कबूल किया कि उन्होंने महज 12 साल की उम्र में वर्जिनिटी खो दी थी। रणबीर कपूर ने भी 15 साल की उम्र में ऐसा ही किया। यह महज इत्तेफाक नहीं है, बल्कि बॉलीवुड की उस मानसिकता को दिखाता है जहाँ सेक्स को एक सामान्य चीज मान लिया गया है। कम उम्र में इन सितारों का इस तरह के अनुभवों से गुजरना क्या बताता है? क्या यह इस इंडस्ट्री के “बोल्ड और ओपन” होने का नतीजा है, या फिर एक खोखली और नैतिकता से गिरी हुई मानसिकता का प्रमाण?
5. विवाहेतर संबंध: ग्लैमर के पीछे का अनैतिक चेहरा
शादी बॉलीवुड में एक मजाक बन चुका है। गोविंदा ने खुलेआम रानी मुखर्जी के साथ अपने अफेयर को कबूल किया। धर्मेंद्र ने हेमा मालिनी से शादी करने के लिए अपना धर्म तक बदल लिया। शाहरुख खान और अक्षय कुमार पर भी शादी के बावजूद अफेयर्स के आरोप लगे। क्या यह महज अफवाहें थीं, या बॉलीवुड की चमक-दमक में रिश्ते निभाने का कोई मूल्य ही नहीं बचा?
6. अंडरवर्ल्ड के साथ गहरे रिश्ते
बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड का रिश्ता पुराना है। मंदाकिनी का नाम दाऊद इब्राहिम के साथ जुड़ा, मोनिका बेदी अबू सलेम की प्रेमिका रहीं, और ममता कुलकर्णी का नाम ड्रग्स माफिया के साथ जोड़ा गया। फिल्मों में पैसा लगाने वाले कई निर्माता-निर्देशक अंडरवर्ल्ड के इशारों पर काम करते हैं। बॉलीवुड की बड़ी पार्टियों में ये लोग खुलेआम देखे जाते हैं, लेकिन कोई इनके खिलाफ आवाज नहीं उठाता।
7. कास्टिंग काउच: सफलता के बदले सौदेबाजी
“अगर काम चाहिए, तो समझौता करना पड़ेगा।” यह बॉलीवुड का एक कड़वा सच है, जिसे हर नया कलाकार जानता है। रणवीर सिंह, आयुष्मान खुराना, कंगना रनौत, राधिका आप्टे, टिस्का चोपड़ा और कल्कि कोचलिन जैसे कलाकारों ने खुद कास्टिंग काउच के अपने अनुभव साझा किए हैं। यह सिर्फ अभिनेत्रियों तक सीमित नहीं है, बल्कि कई अभिनेता भी इसका शिकार हो चुके हैं।
बॉलीवुड का सच: दूर के ढोल सुहावने लगते हैं
बॉलीवुड एक मायाजाल है, जो बाहर से आकर्षक लगता है, लेकिन अंदर से पूरी तरह सड़ा हुआ है। यह सिर्फ फिल्मों की इंडस्ट्री नहीं, बल्कि एक ऐसा तंत्र है, जहाँ दिखावे की दुनिया में सबकुछ जायज़ माना जाता है—चाहे वह ड्रग्स हो, सेक्स हो, अंडरवर्ल्ड कनेक्शन हो, या फिर कास्टिंग काउच।
ग्लैमर की इस दुनिया में सच को दबा दिया जाता है, आवाज उठाने वालों को किनारे कर दिया जाता है, और जो इस खेल में शामिल नहीं होते, वे गायब हो जाते हैं। जो दिखता है, वह हमेशा सच नहीं होता। और बॉलीवुड इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।