बेंगलुरु | 6 जून 2025
बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए भीषण भगदड़ कांड ने पूरे देश को झकझोर दिया। 11 लोगों की दर्दनाक मौत और दर्जनों घायल – इस त्रासदी के बाद अब न्यायिक प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है। आज कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले में एक बेहद अहम फैसला सुनाया है, जो न सिर्फ कानूनी रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि क्रिकेट प्रशासन के लिए भी एक बड़ा संदेश है।
कोर्टरूम में टकराए तर्क
न्यायमूर्ति एस.आर. कृष्ण कुमार की एकल पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) ने FIR रद्द करने की मांग के साथ दायर किया था।
राज्य की ओर से खुद महाधिवक्ता शशि किरण पेश हुए और कोर्ट को बताया कि घटना को अभी 24 घंटे भी नहीं हुए हैं, और 11 निर्दोष जानें जा चुकी हैं। उन्होंने इसे “सामान्य प्रशासनिक लापरवाही” नहीं, बल्कि गंभीर लापरवाही करार दिया।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को सूचित किया कि RCB के मार्केटिंग हेड निखिल सोसाले को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। इस पर जब महाधिवक्ता ने बताया कि सोसाले को दुबई भागने की कोशिश करते समय एयरपोर्ट पर पकड़ा गया, तो कोर्ट का रुख और सख्त होता दिखा।
मुख्यमंत्री के बयान पर कोर्ट की टिप्पणी
जब याचिकाकर्ता पक्ष ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने “सभी जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करने” की बात कही थी, तो कोर्ट ने साफ किया –
“मुख्यमंत्री ने किसी का नाम नहीं लिया होगा। उन्होंने शायद केवल अपनी राय व्यक्त की होगी कि दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।”
हाई कोर्ट का फैसला: गिरफ्तारी पर रोक लेकिन सशर्त
काफी बहस और दस्तावेजी प्रस्तुतियों के बाद, कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया:
- KSCA प्रबंधन को 16 जून तक गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी जाती है।
- यह राहत इस शर्त पर दी गई है कि वे जांच में पूरा सहयोग करें।
- कोर्ट ने यह भी दर्ज किया कि तीन FIR पहले ही दर्ज की जा चुकी हैं, और अन्य याचिकाएं प्रक्रियाधीन हैं।
- इस पूरे घटनाक्रम की जांच अब कर्नाटक हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जॉन माइकल कुन्हा की अध्यक्षता वाले एक सदस्यीय आयोग द्वारा की जाएगी।
- एक मजिस्ट्रेट जांच भी अलग से जारी है।
अब सबकी नजर RCB मार्केटिंग प्रमुख की याचिका पर
KSCA को मिली राहत के बाद अब बारी है RCB के गिरफ्तार मार्केटिंग और रेवेन्यू हेड निखिल सोसाले की, जिन्होंने गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की है। कोर्ट जल्द ही इस पर सुनवाई करेगा।
जनभावना और न्याय – दोनों की परीक्षा
यह मामला अब सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं रह गया, बल्कि यह जनता के भरोसे, न्याय की तत्परता और संस्थाओं की जिम्मेदारी का परीक्षण बन चुका है। अदालत के आगामी फैसले इस दिशा में निर्णायक साबित होंगे।