बड़ी आशंका: इस साल हो सकता है भारत-पाक युद्ध, जनरल मुनीर और राष्ट्रपति ट्रम्प की मुलाकात ने बढ़ाई हलचल

उपमहाद्वीप की फिज़ाओं में फिर से बारूद की गंध महसूस की जा रही है। अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक हलकों में इस बात की जबरदस्त चर्चा है कि इस साल के अंत तक भारत और पाकिस्तान के बीच एक और सैन्य टकराव हो सकता है।

इस आशंका को तब और बल मिला जब पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर ने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से वॉशिंगटन में गुप्त बैठक की। इस मुलाकात को लेकर अब तक दोनों पक्षों ने कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन खुफिया सूत्रों का कहना है कि यह मुलाकात साधारण कूटनीतिक भेंट नहीं थी।

ट्रम्प-मुनीर मीटिंग: रणनीतिक सहयोग या सैन्य संधि?

व्हाइट हाउस में हुई इस विशेष भेंट को लेकर अटकलें तेज हैं कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच कोई रक्षा समझौता आकार ले सकता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस मीटिंग का समय और गोपनीयता इस ओर संकेत करती है कि दक्षिण एशिया में एक बड़ा सैन्य समीकरण बदलने वाला है।

भारत की कूटनीतिक चुप्पी या रणनीतिक तैयारी?

भारतीय विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने अभी तक इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के करीबी सूत्रों की मानें तो भारतीय खुफिया एजेंसियां और सुरक्षा प्रतिष्ठान पूरी स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। सीमा पर हाल के सप्ताहों में पाकिस्तान की ओर से गतिविधियों में तेज़ी आई है, जो तनाव के संकेत देती है।

खुफिया रिपोर्ट्स का संकेत – LoC पर हलचल

भारतीय खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नियंत्रण रेखा (LoC) और पंजाब सीमा पर पाकिस्तानी फौज की तैनाती बढ़ी है। आतंकी लॉन्च पैड फिर से सक्रिय हुए हैं और पाकिस्तानी ड्रोन घुसपैठ की घटनाएं भी बढ़ी हैं। इन संकेतों को एक बड़ी सैन्य योजना का पूर्वाभास माना जा रहा है।

सेना और सुरक्षा बल अलर्ट मोड में

ADG पुलिस सर्विसेज़ और सशस्त्र बलों से जुड़े वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार, आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। जम्मू-कश्मीर, पंजाब, और राजस्थान सीमाओं पर सेना की तैनाती और तैयारी को “डबल शील्ड” फॉर्मेशन में बदला जा रहा है।

पाकिस्तान का उद्देश्य क्या हो सकता है?

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान इस समय अंतरराष्ट्रीय दबाव से जूझ रहा है – आर्थिक संकट, घरेलू अस्थिरता और अफगान सीमा पर अशांति। ऐसे में एक सीमित युद्ध या भारत-विरोधी माहौल बनाकर आंतरिक एकता और अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना इस रणनीति का हिस्सा हो सकता है।


संकेत स्पष्ट हैं — साल के अंत तक भारत-पाक के बीच कूटनीतिक या सैन्य स्तर पर बड़ा धमाका हो सकता है। हर आंख अब दक्षिण एशिया की ओर लगी है।

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