चुनाव में ग्रामीण वोटरों के हाथ में जीत की चाबी, ग्रामीणों के मुकाबले शहरी मत प्रतिशत इतना कम
उत्तराखंड लोकसभा चुनाव की रंगत भले ही शहरों तक ही ज्यादा नजर आ रही हो, लेकिन राज्य में चुनावी जीत की चाबी अब भी ग्रामीण मतदाताओं के हाथ में है। शहरों में अब भी महज 35 प्रतिशत ही मतदाता हैं इस तरह ग्रामीण मतदाता 65 प्रतिशत हैं।
लोकसभा चुनाव के लिए भारत निर्वाचन आयोग की ओर से तैयार की गई मतदाता सूची के अनुसार प्रदेश में कुल मतदाता संख्या 84.14 लाख तक पहुंच चुकी है। दूसरी तरफ इसी सप्ताह राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से भी प्रथम चरण में मतदान के लिए तैयार 93 निकायों की वोटर लिस्ट तैयार कर ली गई है, जिसमें कुल मतदाता संख्या 27.30 लाख तक पहुंच रही है।
राज्य में कुल निकायों की संख्या 105 है, इस तरह सभी निकायों को जोड़ लिया जाए तो भी शहरों की कुल मतदाता संख्या 30 लाख तक ही पहुंचने की उम्मीद है। इन दोनों मतदाता सूची की तुलना से स्पष्ट है कि राज्य के शहरों की कुल मतदाता संख्या गांवों की तुलना में 35 प्रतिशत तक ही बैठ रही है।
जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाता संख्या 65 तक है। दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान को लेकर शहरों के मुकाबले अधिक उत्साह देखा जाता है। साफ है कि राज्य की राजनीति में ग्रामीण मतदाता अब भी निर्णायक स्थिति में हैं।
हरिद्वार और यूसनगर जैसे जिले ग्रामीण राजनीति के लिहाज से खासे अहम हैं। दूसरी तरफ पहाड़ में निकायों की संख्या तो अधिक है, लेकिन यहां निकायों में औसत मतदाता संख्या पांच से छह हजार तक ही है। इस कारण गांव छितरे होने के बावजूद संख्याबल में भारी पड़ जाते हैं।