पौधरोपण और अवैध खनन को लेकर वन विभाग की अहम बैठक, निगरानी और संरक्षण के दिए निर्देश

जिले भर में लगाये पौधों के संरक्षण और अलवर फारेस्ट डिवीजन को लेकर वन विभाग की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। वन विभाग की डिवीजन स्तर की आवश्यक बैठक में जिलेभर में किए गए पौधरोपण और अन्य गतिविधियों के विषय में विचार किया गया। समस्याओं के बारे में अधिकारियों से चर्चा की गई। इस बैठक में पौधों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता भी दिखाई गई।

DFO राजेंद्र हुड्डा ने बताया कि समस्त क्षेत्रीय वन अधिकारियों की बैठक का आयोजन किया गया। इसमें जिलेभर में विभिन्न योजनाओं के तहत पौधरोपण किया गया था। उन पौधों के संरक्षण के निर्देश दिए गए और फीडबैक लिया कि किस तरह से पौधों को सुरक्षित रखा जाए, क्योंकि पौधों की देखभाल ही आज की सबसे बड़ी जरूरत है। इन पौधों की ठीक तरीके से मॉनीटरिंग की जाए, ताकि वह सुरक्षित रह सके और वही जंगल में जिस प्रकार से अवैध खनन हो रहा है उसका भी फीडबैक लेके सभी अधिकारियों को निर्देश दिए, ताकि अवैध खनन की रोकथाम की जाए और अवैध खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। वहीं वन क्षेत्र में फायरिंग व शिकार जिस प्रकार से वन्य जीवों का किया जा रहा है उन पर भी रोक लगाने को लेकर बैठक ली।
अधिकारियों को निर्देश दिए अगर ऐसी  घटना आगे होती है तो उसपर तुरंत प्रभाव से कार्यवाही की जाये और वन्य क्षेत्र में लगातार मोनेटरिंग की जाये ताकि वन्य जीवों को कोई नुकसान नही पहुंचा पाए और अगर कोई पेड़ काटने जैसी गतिविधियां कर रहा है तो उस पर भी रोकथाम के निर्देश दिए गए। जिले भर में अभी तक वन विभाग ने 8 लाख 20 हजार पौधे लागये हैं और इसके अलावा समाजिक संघठनों की बात की जाए तो अभी तक जिले भर में कुल 22 लाख के करीब पौधे लगाने का काम किया गया है। इनमें स्कूल, जिला परिषद, ग्राम पंचायत व अन्य सामाजिक संघठन शामिल हैं। जो केंद्रीय वन ओर पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के द्वारा अभी तक 2 नगर वन बनाये हैं। उनमें भी करीब 20 हजार से अत्यधिक पौधे लागये जाएंगे और जल संरक्षण संरचना बनाई जाएगी। उनका रख रखाव का कार्य समाजिक संघठनों के साथ-साथ वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा किया जाएगा। वन विभाग का मानना है कि इनमें से अधिकांश पौधे भी वृक्ष बने तो जिले में सघन हरियाली आएगी। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि वन विभाग और सामाजिक संगठन भी इन पौधों के संरक्षण के लिए काफी गंभीर दिखाई दे रहे हैं।

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