प्रयागराज | कुंभ मेले की पवित्र भीड़ अचानक एक भयावह भगदड़ में बदल गई, जिससे दर्जनों लोग घायल हो गए और कई श्रद्धालुओं की जान चली गई। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। अब जांच के दौरान जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे इसे एक सामान्य दुर्घटना नहीं बल्कि किसी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं।
16,000 मोबाइल नंबरों की जांच – रहस्य गहराया!
घटनास्थल संगम नोज में एक बड़ी संख्या में मोबाइल फोन सक्रिय पाए गए। जब सुरक्षा एजेंसियों ने इनका विश्लेषण किया, तो 16,000 मोबाइल नंबर शक के दायरे में आए। इन नंबरों की जांच से कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं:
- कई नंबर घटना के तुरंत बाद बंद हो गए, जिससे संदेह और गहरा हो गया।
- कुछ नंबर ऐसे इलाकों में सक्रिय थे, जहां भगदड़ से पहले कोई हलचल नहीं थी।
- फोन कॉल और मैसेजिंग पैटर्न की जांच की जा रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि क्या यह एक संगठित योजना थी।
फेशियल रिकग्निशन से संदिग्धों की तलाश
भगदड़ के दौरान ली गई सीसीटीवी फुटेज और श्रद्धालुओं के मोबाइल में रिकॉर्ड किए गए वीडियो को खंगाला जा रहा है। इसमें फेशियल रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि उन लोगों की पहचान हो सके, जो भगदड़ के दौरान संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त थे।
क्या भीड़ को जानबूझकर भड़काया गया?
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि भगदड़ शुरू होने से ठीक पहले किसी ने अफवाह फैलाई, जिससे लोग घबराकर इधर-उधर भागने लगे। यह अफवाह या तो बम धमाके की थी या किसी महत्वपूर्ण वीआईपी मूवमेंट की, जिससे भगदड़ मच गई।
पिछले भगदड़ हादसों से समानताएँ!
कुंभ मेले में पहले भी भगदड़ की घटनाएँ हुई हैं, लेकिन इस बार का मामला अलग लग रहा है। 2013 में इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ और 2003 के नासिक कुंभ भगदड़ की तुलना में इस बार की घटना में तकनीकी साक्ष्य (मोबाइल डेटा, सीसीटीवी फुटेज) कुछ नया संकेत दे रहे हैं।
प्रशासन ने क्या कहा?
अधिकारियों का कहना है कि वे हर एंगल से जांच कर रहे हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, भगदड़ का कारण भीड़ का दबाव और अव्यवस्थित निकासी व्यवस्था हो सकता है, लेकिन मोबाइल डेटा के विश्लेषण से नई संभावनाओं पर भी काम हो रहा है।
क्या यह सुनियोजित षड्यंत्र था?
हालांकि अभी तक कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला है, लेकिन जिस तरह से मोबाइल नंबर गायब हो रहे हैं और संदिग्ध चेहरे पहचाने जा रहे हैं, उससे यह मामला महज एक दुर्घटना नहीं लगता।
आगे क्या?
- NIA और IB जैसी एजेंसियाँ भी इस मामले की जांच में जुड़ सकती हैं।
- भगदड़ के शिकार लोगों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
- जिन मोबाइल नंबरों पर संदेह है, उनकी पूरी कॉल डिटेल निकाली जा रही है।
क्या यह महज एक हादसा था या इसके पीछे कोई साजिश थी? मोबाइल नंबरों का अचानक बंद होना, अफवाहें, और संदिग्ध गतिविधियाँ – ये सभी सवाल इस घटना को रहस्यमयी बनाते हैं। आने वाले दिनों में जांच के नतीजे कई चौंकाने वाले खुलासे कर सकते हैं!
आपकी क्या राय है? क्या यह हादसा था या कोई साजिश? अपने विचार कमेंट में जरूर साझा करें!