पंजाब में प्रशासनिक सुधार या जादू? मंत्री जी 20 महीने तक गायब विभाग चलाते रहे!

चंडीगढ़। पंजाब सरकार में एक अजीब लेकिन पूरी तरह ‘आप’ टाइप घटना सामने आई है। सरकार को पूरे 20 महीने बाद एहसास हुआ कि उनके मंत्री कुलदीप धालीवाल जिस विभाग के सुधार में दिन-रात मेहनत कर रहे थे, वो विभाग असल में था ही नहीं!

 

जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं। पंजाब सरकार ने प्रशासनिक सुधारों के लिए ऐसा अनोखा प्रयोग किया, जिसे देखकर साइंस भी शर्मा जाए! मंत्री जी 20 महीने तक बेफिक्र होकर फ़ाइलें पलटते रहे, बैठकों में व्यस्त रहे और भाषण देते रहे, लेकिन असलियत में उनका मंत्रालय सिर्फ़ कागज़ों में था।

“फाइलें गायब, सुधार जबरदस्त!”

 

सरकारी सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय भले ही अस्तित्व में नहीं था, लेकिन मंत्री जी की व्यस्तता में कोई कमी नहीं आई। वे पूरे जोश-ओ-ख़रोश से प्रशासनिक सुधारों की योजनाएँ बनाते रहे, बैठकों में एक्सेल शीट दिखाते रहे और प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘ऐतिहासिक बदलावों’ की घोषणा भी करते रहे।

 

एक अफसर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “हमने कभी मंत्रालय को खोजने की कोशिश नहीं की, क्योंकि मंत्री जी हर मीटिंग में इतने व्यस्त लगते थे कि हमें शक ही नहीं हुआ।”

 

वहीं, विपक्ष ने इस कारनामे को ‘आप सरकार की अदृश्य नीति’ करार दिया। एक नेता ने कटाक्ष करते हुए कहा, “जब विभाग ही नहीं था, तो मंत्री जी ने किसी घोटाले में फंसने का रिस्क भी नहीं लिया। यह एक ऐतिहासिक पारदर्शिता है!”

 

“गायब मंत्रालय योजना” से प्रेरणा लेगी सरकार!

 

अब सरकार इस चमत्कारी मॉडल से सीख लेकर आगे बढ़ने की सोच रही है। एक मंत्री ने सुझाव दिया है कि अगर ‘गायब विभाग’ का कॉन्सेप्ट इतना सफल रहा, तो भविष्य में “गायब बजट”, “गायब योजनाएँ” और “गायब घोटाले” भी शुरू किए जा सकते हैं।

 

सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री कार्यालय ने अब एक विशेष टीम गठित की है, जो यह पता लगाएगी कि यह मंत्रालय आखिर था भी या सरकार ने सिर्फ़ ‘मन की बात’ में इसे महसूस किया था। इस पर भी चर्चा हो रही है कि अगर मंत्री धालीवाल को 20 महीने तक एक ग़ैर-मौजूद विभाग में सफलता मिली, तो क्या उन्हें अब ‘ग़ायब घोटालों’ का भी प्रभार सौंप देना चाहिए?

जनता के लिए चेतावनी

इस घटना से जनता को भी सतर्क हो जाना चाहिए। कल को कहीं ऐसा न हो कि सरकार उन्हें भी ‘ग़ायब सुविधाओं’ की लिस्ट पकड़ाकर कहे—”सुधार हो चुके हैं, आपको

दिख क्यों नहीं रहे?”

 

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