पहाड़ों की रानी मसूरी में मानकों को ताक पर रखकर हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा है। जिससे वन्यजीवों को भी खतरा है। वन विभाग ने मसूरी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के ऊपर बिना चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की अनुमति के हेलीकॉप्टर उड़ा रही एक कंपनी के खिलाफ केस दर्ज किया है। साथ ही, कंपनी को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण भी मांगा है।
दरअसल, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी संरक्षित वन क्षेत्र के ऊपर बिना चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की अनुमति के हेलीकॉप्टर या ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकता। जबकि इसके आसपास भी कम से कम छह सौ मीटर की ऊंचाई पर ही हेलीकॉप्टर या ड्रोन उड़ाया जा सकता है।
लेकिन पिछले कुछ दिनों से मसूरी में विनोग वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के ऊपर बिना अनुमति एवं तय मानक से नीचे एक निजी कंपनी हेलीकॉप्टर उड़ा रही थी। इसकी जानकारी मिलने के बाद वन विभाग ने इसकी पड़ताल की।
वन विभाग की ओर से हेली कंपनी के खिलाफ वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन ऐक्ट के तहत एचटू केस काटा है। साथ ही कंपनी को नोटिस भेजकर बिना अनुमति व मानकों से नीचे हेलीकॉप्टर उड़ाने पर स्पष्टीकरण मांगा है। विनोग रेंज के रेंजर हेमंत बिष्ट ने इसकी पुष्टि की है। कहा कि मामले की विवेचना की जा रही है।
नियम तय करने के लिए उच्चाधिकारियों को भेजा पत्र
वहीं मसूरी वन प्रभाग की ओर से हेली सेवाओं के संचालन के लिए नियम व कायदे तय करने को लेकर वन विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि यहां काफी वीवीआईपी मूवमेंट रहता है। इसके अलावा पर्यटन नगरी होने के कारण भी यहां काफी संख्या में हेलीकॉप्टर उड़ते हैं।
लेकिन इसके लिए कोई कायदा व नियम तय नहीं हैं। केवल कुछ मानकों का ही पालन कराया जाता है। ऐसे में नियम कायदे इसके लिए बनाए जाने चाहिए।