डेह (नागौर) बनेगा ऐतिहासिक साक्षी, 20 अप्रैल को होगा भव्य आयोजन
राजस्थानी भाषा और साहित्य को समर्पित प्रतिष्ठित नेम प्रकाशन, डेह (नागौर) ने वर्ष 2025 के मायड़ भाषा पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। इस बार साहित्य जगत की प्रमुख हस्ती राजेन्द्र मोहन शर्मा को उनकी उत्कृष्ट अनुवादित कृति ‘उडाण’ के लिए गोपालसिंह उदावत वय-वंदन पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार पवन पहाड़िया ने बताया कि नेम प्रकाशन द्वारा पिछले 15 वर्षों से लगातार यह सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है। राजस्थानी भाषा और साहित्य के संरक्षण के इस महाअभियान में अब तक 139 विद्वानों को सम्मानित किया जा चुका है।
राजेन्द्र मोहन शर्मा: राजस्थानी साहित्य के दिग्गज लेखक
जयपुर निवासी राजेन्द्र मोहन शर्मा हिंदी और राजस्थानी दोनों भाषाओं में अपनी अनूठी लेखनी के लिए प्रसिद्ध हैं। देशभर में उनकी रचनाओं को सराहा गया है और उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
उनकी ‘उडाण’ कहानी संग्रह के अनुवाद ने राजस्थानी साहित्य को एक नई ऊँचाई प्रदान की है। उनकी लेखनी में भाषा की गहराई और भावनाओं की सजीव अभिव्यक्ति देखी जा सकती है, जिसने उन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार का हकदार बनाया।
सम्मान समारोह: 20 अप्रैल को होगा ऐतिहासिक आयोजन
डेह (नागौर) में आयोजित होने वाले इस सम्मान समारोह में श्री राजेन्द्र मोहन शर्मा को ₹11,000 नकद, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया जाएगा। यह आयोजन न केवल राजस्थानी भाषा के प्रति समर्पित विद्वानों का अभिनंदन करेगा, बल्कि मायड़ भाषा के उत्थान के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगा।
मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी से भी मिलेगा अखिल भारतीय पुरस्कार
यही नहीं, अप्रैल महीने में ही राजेन्द्र मोहन शर्मा को मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा भी एक लाख रुपए का अखिल भारतीय पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें उनके बहुचर्चित उपन्यास ‘महात्मा विदुर’ के लिए दिया जा रहा है, जो उनके लेखन कौशल की व्यापकता और प्रभावशाली भाषा शैली का प्रमाण है।
राजस्थानी भाषा के लिए स्वर्णिम पल
यह दोहरे सम्मान का अवसर न केवल राजेन्द्र मोहन शर्मा के लिए बल्कि संपूर्ण राजस्थानी साहित्य जगत के लिए गौरव का क्षण है। यह पुरस्कार राजस्थानी भाषा को नई दिशा देने वाले रचनाकारों को प्रेरित करेगा और इस भाषा के संरक्षण के प्रयासों को और अधिक गति प्रदान करेगा।
20 अप्रैल को डेह में होने वाला यह आयोजन निश्चित रूप से राजस्थानी साहित्य के स्वर्णिम इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ने जा रहा है।