भारत ने मेगा डिफेंस डील को दी मंजूरी, नौसेना को मिलेंगे 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान

केंद्र सरकार ने भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान (राफेल विमान का समुद्री संस्करण) खरीदने के लिए 63,000 करोड़ रुपये से अधिक की मेगा डील को मंजूरी दे दी है. इससे नौसेना को लड़ाकू विमान का बड़ा बेड़ा मिलेगा. इस खरीद पर पहली बार जुलाई 2023 में विचार किया गया था, जब रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस सरकार से संपर्क किया था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस सौदे में बेड़े के रखरखाव, रसद सहायता, कर्मियों के प्रशिक्षण और ऑफसेट जिम्मेदारियों के तहत कल-पुर्जों के स्वदेशी निर्माण के लिए एक बड़ा पैकेज भी शामिल होगा. इस महीने के अंत में समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है, जब फ्रांस के रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू भारत के दौरे पर आएंगे. सूत्रों ने कहा कि रक्षा सौदे के लिए समझौता होने के पांच साल बाद विमानों की डिलीवरी की उम्मीद है. 2031 के बाद राफेल एम विमानों का यह बेड़ा नौसेना में शामिल हो सकता है.

राफेल एम को दुनिया के सबसे उन्नत नौसैनिक लड़ाकू जेट विमानों में से एक माना जाता है. यह सफ्रान ग्रुप (Safran Groups) के रीइन्फोर्स्ड लैंडिंग गियर से लैस है – जिसे युद्धपोत से उड़ान भरने वाले विमानों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है और इसमें फोल्डिंग विंग्स, और कठोर परिस्थितियों, डेक लैंडिंग और टेलहुक का सामना करने के लिए एक रीइन्फोर्स्ड अंडरकैरिज भी है.

रिपोर्ट के मुताबि, इन जेट विमानों में 22 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर वेरिएंट शामिल हैं और इन्हें मुख्य रूप से स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा. इसके लिए भारत हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत को देखते हुए समुद्री हमले की क्षमताओं को मजबूत करना चाहता है.

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने पिछले साल दिसंबर में कहा था, “हम अपने संचालन के क्षेत्र में किसी भी तरह के उल्लंघन को रोकने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं और सभी पड़ोसियों से खतरों से निपटने के लिए तैयार हैं.

नौसेना के नए राफेल विमान भारतीय वायु सेना की क्षमताओं को बढ़ाने में भी मदद करेंगे, जिसमें ‘बडी-बडी’ (buddy-buddy) हवाई ईंधन भरने की प्रणाली को अपग्रेड करना शामिल है, यह सिस्टम एक जेट को ईंधन भरने वाले पॉड से लैस करके दूसरे के लिए ईंधन टैंकर के रूप में कार्य करने की अनुमति देता है, जिससे लड़ाकू विमान लंबे समय तक उड़ान भर सकते हैं.

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