देहरादून। महिला कल्याण विभाग, उत्तराखंड द्वारा संचालित एक अभिनव पहल ने उन महिलाओं को नई दिशा दी है, जो पूर्व में अनाथ, निराश्रित या परित्यक्त परिस्थितियों में जीवन यापन कर रही थीं। राजकीय बाल देखरेख संस्थाओं एवं महिला गृहों में निवासरत किशोरियों एवं महिलाओं द्वारा गठित “आलम्बन महिला कल्याण सहकारी समिति” आज आत्मनिर्भरता की एक प्रेरणादायक मिसाल बन चुकी है।
इस समिति की प्रमुख उपलब्धियों में शामिल है — “श्री अन्न स्वादिष्ट नमकीन” का निर्माण और विपणन। समिति के माध्यम से इन महिलाओं को न केवल स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षित किया गया है, बल्कि स्थानीय उत्पादों के आधार पर स्थायी आजीविका के अवसर भी प्रदान किए गए हैं। स्थानीय अन्न जैसे मडुआ, झंगोरा, रागी आदि से बनाई जा रही ये नमकीनें न केवल स्वास्थ्यवर्धक हैं, बल्कि इनका स्वाद भी बाजार में ग्राहकों को खूब लुभा रहा है।
नवजीवन की ओर बढ़ता आत्मनिर्भरता का कारवां
महिला कल्याण निदेशक श्री प्रशांत आर्य के मार्गदर्शन में समिति को उत्पाद निर्माण, ब्रांडिंग, विपणन तथा गुणवत्ता मानकों के लिए प्रशिक्षण दिया गया। बालाजी महिला स्वयं सहायता समूह की साझेदारी से यह सुनिश्चित किया गया कि उत्पाद FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) से लाइसेंस प्राप्त हों, जिससे उपभोक्ता को गुणवत्ता और स्वास्थ्य का भरोसा भी मिल सके।
श्री अन्न नमकीन के लोकप्रिय उत्पाद
प्रारंभिक स्तर पर तैयार 250 ग्राम पैकिंग में उपलब्ध नमकीनों की सूची इस प्रकार है:
नमकीन का नाम | मात्रा (ग्राम) | मूल्य (₹) |
---|---|---|
मडुवा नमकीन | 250 | 80 |
झंगोरे की नमकीन | 250 | 80 |
रागी की नमकीन | 250 | 80 |
मिक्स नमकीन | 250 | 70 |
चकली | 250 | 70 |
आलू भुजिया | 250 | 70 |
इन उत्पादों को सचिवालय परिसर, कोरोनेशन अस्पताल, एवं अन्य सरकारी कार्यालयों में विक्रय के लिए उपलब्ध कराया गया है। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार प्रतिमाह ₹1000 तक की बिक्री हो रही है जो धीरे-धीरे बढ़ रही है।
स्वरोजगार से सम्मान तक
यह पहल केवल रोजगार तक सीमित नहीं है, बल्कि इन महिलाओं को समाज में सम्मान की नई पहचान दिला रही है। पूर्व में उपेक्षित जीवन जी रहीं ये महिलाएं आज अपने उत्पादों के लिए ग्राहकों से प्रशंसा प्राप्त कर रही हैं। यह पहल एक सामाजिक पुनर्वास मॉडल बन रही है, जो अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय हो सकती है।
महिला कल्याण विभाग के अधिकारियों द्वारा भी इस प्रयास को निरंतर समर्थन मिल रहा है। विभागीय अध्यक्ष स्वयं समय-समय पर समिति के उत्पादों की समीक्षा करते हैं और विपणन विस्तार हेतु मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।