“जहां बैठो वहीं दरबार, पर अब 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होंगे बांके बिहारी सरकार!”

वृंदावन, जिसे स्वयं श्रीकृष्ण की लीला स्थली कहा जाता है, आज वहीँ की पवित्र भूमि एक भीषण संघर्ष की गवाही दे रही है। केंद्र में है—बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर, एक ऐसी परियोजना जिसे सरकार ‘तीर्थ सुधार’ कह रही है और सेवायत समाज इसे ठाकुरजी के निजत्व पर ‘सरकारी हमला’ मान रहा है!


🛑 ठाकुरजी के आंगन में सरकार की ‘डोजर नीति’?

सरकार ने श्री बांके बिहारी मंदिर के चारों ओर लगभग 5 एकड़ भूमि अधिग्रहण का फैसला लिया है और इसके लिए ₹500 करोड़ की महायोजना तैयार की है। उद्देश्य? एक भव्य कॉरिडोर, चौड़ी सड़कें, पार्किंग, धर्मशालाएं और भी बहुत कुछ।

पर सवाल ये है — क्या इस विकास की गूंज में कहीं ठाकुरजी की ‘परंपरा की बांसुरी’ दब तो नहीं रही?


⚡ सुप्रीम कोर्ट ने दी हरी झंडी, पर मंदिर सेवायतों ने छेड़ा धर्म युद्ध!

सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना को सशर्त मंज़ूरी दी — जमीन श्रीविग्रह के नाम पर होगी और मंदिर कोष से भी पैसा खर्च हो सकता है। लेकिन इसी आदेश ने एक चिंगारी को ज्वाला में बदल दिया।

गोस्वामी समाज ने इसका खुला विरोध किया है।
➡ काले कपड़े, यज्ञ, धरना और खुली चुनौती: “ठाकुरजी का निज मंदिर, हमारी सेवा-परंपरा से खिलवाड़ नहीं सहेंगे!”


🧨 मंदिर के दरवाज़े पर ‘विकास’ बनाम ‘धर्म’ का महासंग्राम

श्रद्धा की नगरी वृंदावन में सवाल यह है कि — क्या यह कॉरिडोर श्रद्धालुओं के लिए वरदान बनेगा या ठाकुरजी की परंपराओं पर आधुनिकता की आंधी?

🔹 सेवायत कहते हैं — “मंदिर हमारे पूर्वजों की सेवा है, कोई सरकारी संस्थान नहीं। यह धरोहर है, इसे वोट बैंक या कमाई का जरिया मत बनाओ।”
🔹 सरकार कहती है — “श्रद्धालुओं को सुविधा देना हमारा कर्तव्य है। व्यवस्था सुधरेगी, भीड़ घटेगी, श्रद्धा बढ़ेगी।”


⚖️ 29 जुलाई: भगवान के लिए न्याय की अगली तारीख!

➡ सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 29 जुलाई को तय की है।
➡ सेवायतों की मांग – हमें बिना सुने ये फैसला क्यों?
➡ सरकार ने बना दिया ट्रस्ट – सिर्फ दो गोस्वामी? शेष 16 कौन तय करेगा ठाकुरजी के बारे में?


🔥 यह सिर्फ कॉरिडोर नहीं, एक संघर्ष है पहचान, परंपरा और प्रभु सेवा की रक्षा का!

📢 वृंदावन में कुछ असाधारण घट रहा है।
📢 यह भक्तों की आंखों में आंसू है और सेवायतों के हाथ में शंख है।
📢 और जब सरकार ‘कॉरिडोर’ की बात करती है, सेवायत कहते हैं – “यह ठाकुरजी का निज निवास है, कोई टूरिस्ट स्पॉट नहीं!”


📸 क्या देख रहे हैं भक्त?

👉 मंदिर क्षेत्र के चारों ओर बैरिकेडिंग
👉 सरकारी नक्से में मंदिर को “टूरिस्ट जोन” में तब्दील करने की तैयारी
👉 गोस्वामी समाज के भीतर आक्रोश और समर्पित भक्तों की चिंता – “क्या ठाकुरजी का दर्शन अब टिकट पर होगा?”


🚨 वृंदावन के गलियारों में गूंज रहा है एक ही सवाल — क्या ठाकुरजी की परंपरा बचेगी? या विकास की गाड़ी उनके आंगन को भी रौंद देगी? 🚨

🕉️ “यह केवल मंदिर नहीं, सनातन की आत्मा है। और आत्मा पर कोई कॉरिडोर नहीं बनता!” – एक सेवायत की ललकार।

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