बाड़मेर, राजस्थान —
जब देश के अफसरशाह खुद झाड़ू उठाकर ज़मीन पर उतर आते हैं, तो तस्वीरें नहीं, बदलाव वायरल होता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बाड़मेर की जिलाधिकारी टीना डाबी ने। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जब बाड़मेर में सफ़ाई अभियान की शुरुआत हुई, तो किसी ने नहीं सोचा था कि राजस्थान कैडर की यह तेज़तर्रार IAS अधिकारी खुद झाड़ू हाथ में लेकर सफाई की कमान संभाल लेंगी।
जी हां, सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर में टीना डाबी सार्वजनिक स्थल पर झाड़ू लगाती नज़र आ रही हैं — और यही दृश्य आज हर उस अफसर को आइना दिखा रहा है जो सिर्फ़ AC ऑफिस में बैठकर आदेश देना ही अपनी ड्यूटी समझता है।
“स्वच्छता आदेश से नहीं, उदाहरण से आती है”
टीना डाबी का यह कदम प्रतीक है लीडरशिप बाय एक्ज़ाम्पल का। उन्होंने स्पष्ट कहा —
“बाड़मेर एक सीमावर्ती और संवेदनशील ज़िला है, लेकिन इसकी खूबसूरती और स्वच्छता को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।”
उनका यह संदेश न सिर्फ स्थानीय प्रशासन को चेतावनी है, बल्कि आम नागरिकों को भी जिम्मेदारी का अहसास दिलाने वाला है।
इससे पहले भी टीना डाबी ने बाड़मेर में कचरा निस्तारण, शौचालय निर्माण और जनजागरूकता कार्यक्रमों में विशेष दिलचस्पी दिखाई है। ट्रोलिंग के बावजूद उन्होंने स्वच्छता के एजेंडे से न कभी मुंह मोड़ा, न नीयत बदली।
“एक दिन में नहीं होगा चमत्कार, लेकिन शुरुआत तो ज़रूरी है”
टीना डाबी मानती हैं कि किसी जिले की सफाई केवल अधिकारी की मेहनत से नहीं होती — जब तक जनता खुद इसमें भागीदार न बने।
उनके मुताबिक:
“अगर हर घर, हर दुकानदार, हर विद्यार्थी एक दिन भी झाड़ू उठाए, तो बाड़मेर को चमकने से कोई नहीं रोक सकता।”
उनकी अपील है कि हर पंचायत, हर स्कूल और हर सरकारी दफ्तर स्वच्छता को संस्कार की तरह अपनाए।
ज़मीन से जुड़ी अफसर, सोशल मीडिया की स्टार
टीना डाबी के कार्यशैली की यह खासियत है कि वे दिखावे से दूर, ज़मीनी हकीकत से जुड़ी रहती हैं। यही वजह है कि जब वे झाड़ू लगाती हैं, तो वह एक ‘फोटो-ऑप’ नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी संदेश बन जाता है।
सोशल मीडिया पर लोग उनकी प्रशंसा कर रहे हैं:
- “टीना डाबी वो आईएएस हैं जो वर्दी नहीं, ज़िम्मेदारी पहनती हैं।”
- “अगर हर जिले को एक टीना डाबी मिल जाए, तो भारत सच में स्वच्छ बन जाएगा।”
अब जनता की बारी है: क्या आप तैयार हैं?
टीना डाबी का यह अभियान एक सवाल छोड़ता है —
क्या हम अब भी सिर्फ तस्वीरों को लाइक करेंगे, या बदलाव की इस मुहिम में शामिल होंगे?
क्योंकि एक कलेक्टर झाड़ू लेकर सड़क पर उतर सकती हैं, तो एक नागरिक कूड़ेदान तक क्यों नहीं जा सकता?