उत्तराखंड में फार्मा सेक्टर की आड़ में चल रहे साइकोट्रोपिक ड्रग्स के अवैध धंधे का पर्दाफाश हो चुका है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की एक विशेष टीम ने हाल ही में राज्य की एक फार्मा फैक्ट्री पर छापा मारकर बड़ी मात्रा में नशे की दवाओं का भंडार जब्त किया है। NDPS एक्ट की धारा 67 के तहत की गई इस कार्रवाई में अब तक एक गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन जो खुलासे सामने आए हैं, वे पूरे सिस्टम की सड़ांध को उजागर करते हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात:
पूरी कार्रवाई राज्य के बाहर से आई एनसीबी टीम ने अंजाम दी।
स्थानीय एजेंसियों को या तो कोई भनक नहीं थी, या फिर वे जानबूझकर खामोश थीं।
क्या यह केवल लापरवाही है या फिर गहरी मिलीभगत का मामला?
🔍 एनसीबी के खुलासे में क्या सामने आया?
- जिन एजेंसियों को दवाएं भेजी गई थीं, उनमें से एक अपने पते पर मौजूद ही नहीं पाई गई।
- फैक्ट्री से कच्चा माल और तैयार मादक दवाएं सील कर दी गईं।
- QC कंट्रोल्ड सैंपल्स — जो उसी एजेंसी के नाम पर बनाए गए थे, जो है ही नहीं — जब्त कर लिए गए।
इसके अतिरिक्त, एनसीबी मोहाली कार्यालय में कंपनी के डायरेक्टर्स की पेशी हुई, जिनके बयान दर्ज किए गए। लेकिन एनसीबी इससे संतुष्ट नहीं है। अब बाकी निदेशकों को पेश होने के आदेश दिए गए हैं।
कंपनी की चुप्पी — मासूमियत या साज़िश?
अब तक न कंपनी ने कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस की है, न कोई आधिकारिक बयान दिया है।
क्या ये चुप्पी सिर्फ कानूनी रणनीति है या अपराधबोध की मौन स्वीकारोक्ति?
उत्तराखंड सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल:
उत्तराखंड को फार्मा हब बनाने के सरकारी दावों के बीच, अगर फर्जी एजेंसियों को बिना जांच के साइकोट्रोपिक दवाएं भेजी जा रही हैं, तो यह न सिर्फ प्रशासनिक विफलता है, बल्कि एक संरक्षित नेटवर्क का संकेत देती है।
🔎 अब जनता जानना चाहती है:
- किसकी मंजूरी से फर्जी एजेंसियों को दवाएं भेजी गईं?
- QC सैंपल तक गलत एजेंसी के नाम पर क्यों बनाए गए?
- फार्मा निदेशक अब तक चुप क्यों हैं और कहां छिपे हैं?
- और सबसे जरूरी — प्रदेश की ड्रग कंट्रोल एजेंसी अब तक क्या कर रही थी?
अगर सरकार और संबंधित संस्थान अब भी खामोश रहते हैं, तो यह खामोशी खुद एक गवाही बन जाएगी — इस बात की कि व्यवस्था के भीतर से ही कोई नशे के कारोबार को संरक्षण दे रहा है।
रिपोर्ट
अमित शर्मा
7895156731