बदलते दौर के साथ कांग्रेस में भी दूसरी पांत के नेताओं में विश्वास जाग रहा है। पार्टी ने इस बार चिर परिचित चेहरों के स्थान पर उन चेहरों पर दांव लगाया है, जिनमें पार्टी भविष्य की संभावनाएं देख रही है। जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव का नतीजा चाहे जो हो, लेकिन ये नए चेहरे राज्य की सियासत में स्थापित हो जाएंगे।गढ़वाल से गणेश गोदियाल, हरिद्वार से वीरेंद्र रावत और नैनीताल से प्रकाश जोशी पहली बार लोस चुनाव लड़ रहे हैं। गोदियाल और प्रकाश जोशी को विस चुनाव लड़ने का अनुभव है, जबकि वीरेंद्र पहली बार सीधे लोस चुनाव में उतरे हैं। यानी लोकसभा चुनाव में दो नए चेहरों पर भरोसा जताकर कांग्रेस में भी बदलाव दिखा है।
चुनाव लड़ने का अवसर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पास भी था, लेकिन उन्होंने बेटे को मैदान में उतार दिया। सियासी हलकों में इसे उम्रदराज हरीश रावत के राजनीतिक पलायन के तौर पर देखा जा रहा है। चर्चा तो यहां तक है कि 2027 में जब विधानसभा चुनाव होगा हरीश रावत शायद टिकट की दौड़ से बाहर होंगे, क्योंकि उनकी बेटी और बेटे की दावेदारी उनसे कहीं ज्यादा मजबूत होगी।