उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट: बच्चे भीगते हुए स्कूल जाने को मजबूर, प्रशासन बेखबर!

देहरादून। उत्तराखंड में पिछले 24 घंटे से लगातार मूसलाधार बारिश जारी है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने राज्य के सात जिलों – उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल, देहरादून, पिथौरागढ़ और बागेश्वर के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, 28 फरवरी को इन इलाकों में भारी बारिश और ऊंचाई वाले क्षेत्रों (3200-3500 मीटर से अधिक) में भारी हिमपात हो सकता है। बारिश के कारण भूस्खलन का खतरा भी बढ़ गया है, जिससे आमजन से सतर्क रहने की अपील की गई है।

 

बच्चों के लिए आफत बनी बारिश, स्कूल जाने को मजबूर!

 

देहरादून, टिहरी और पिथौरागढ़ जैसे इलाकों में हालात बेहद खराब हैं। कई स्कूलों के बाहर घुटनों तक पानी भर चुका है, लेकिन बच्चों को स्कूल जाने की मजबूरी झेलनी पड़ रही है। सुबह से ही बच्चे सिर पर बैग रखे, छाते में खुद को समेटे, ठंड से कांपते हुए स्कूल जाते दिखे।

 

9 वर्षीय ऋचा, जो बांग्लीकोठी इलाके में अपने पिता के साथ स्कूल जा रही थी ने कहा,

“हमारा यूनिफॉर्म पूरी तरह भीग चुका है। रास्तों में कीचड़ और पानी भरने के कारण चलना और  परेशानी हो रहीं हैं।  बड़े लोग ही भीग रहे हैं, तो हम छोटे बच्चों का क्या हाल होगा?”

 

वहीं, एक अन्य छात्रा ने कहा,

“पढ़ाई और परीक्षा तो जरूरी है, लेकिन हमारी हेल्थ उससे ज्यादा जरूरी है। अगर दूसरे शहरों में बारिश के कारण स्कूल बंद हो सकते हैं, तो देहरादून में क्यों नहीं?”

 

भूस्खलन का खतरा, लेकिन प्रशासन चुप!

 

मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है, जिससे सड़कें बंद हो सकती हैं। देहरादून, मसूरी, नैनीताल और अन्य शहरों में नदी-नाले उफान पर हैं। कई स्थानों पर पुलों के नीचे पानी का बहाव खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है।

 

डीएम साहब, बच्चे भी इंसान हैं!

 

जब दूसरे जैसे शहरों में बारिश के कारण स्कूल बंद हो सकते हैं, तो उत्तराखंड में यह फैसला क्यों नहीं लिया जा रहा? प्रशासन को चाहिए कि वह हालात की गंभीरता को समझे और तत्काल स्कूलों को बंद करने या ऑनलाइन कक्षाओं का निर्देश जारी करे।

 

अब सवाल यह है कि क्या देहरादून और राज्य के अन्य डीएम और शिक्षा विभाग के आला  अधिकारी इस आपदा को नजरअंदाज करेंगे या बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे?

 

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