उत्तर प्रदेश की ज़मीन पर अब इतिहास के लुटेरों की पूजा नहीं होगी! योगी आदित्यनाथ सरकार ने ग़ाज़ी सालार मसूद की दरगाह पर लगने वाले “जेष्ठ मेला” को सख्ती से रद्द कर दिया है। प्रशासन ने स्पष्ट कह दिया है: “किसी हमलावर की याद में अब कोई मेला नहीं लगेगा!”
ग़ाज़ी सालार मसूद—महमूद ग़ज़नवी का संबंधी—वही ग़ज़नवी जिसने सोमनाथ मंदिर पर कई बार हमले किए, भारत की संपदा को लूटा, हज़ारों मंदिर तोड़े और लाखों हिंदुओं को तलवार के दम पर झुकाने की कोशिश की।
लेकिन अब समय बदल चुका है। यह नया भारत है!
योगी सरकार का यह फैसला न केवल एक प्रशासनिक निर्णय है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक अस्मिता और आत्मगौरव की एक साहसी उद्घोषणा है। एक ऐसा संदेश जो साफ कहता है—“अब लुटेरों की पूजा नहीं, बलिदानियों का सम्मान होगा!”
ग़ज़नवी ने 1000 से 1027 ईस्वी तक भारत पर 17 बार आक्रमण किया, पर वो भारत की आत्मा को जीत नहीं सका। और आज, हजार साल बाद, उसका नाम एक मेले से भी मिटा दिया गया है।
यह नया भारत है – जो इतिहास को जानता है, पहचानता है और उसका जवाब भी देता है।