रंगे हाथ पकड़े गए जिला सैनिक कल्याण अधिकारी: उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ धामी सरकार की कड़ी कार्रवाई

उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के विरुद्ध चल रही सरकार की सख्त मुहिम के तहत एक और बड़ी कार्रवाई सामने आई है। बागेश्वर ज़िले के जिला सैनिक कल्याण अधिकारी (सेवानिवृत्त कर्नल) सूबोध शुक्ला को विजिलेंस टीम ने ₹50,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई प्रदेश सरकार द्वारा जारी टोल फ्री नंबर 1064 पर प्राप्त एक शिकायत के बाद की गई, जो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चल रही “भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति” की सफलता को दर्शाती है।

कैसे सामने आया पूरा मामला?

शिकायतकर्ता एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं, जो जिला सैनिक कल्याण कार्यालय में अपने सेवा विस्तार से संबंधित कार्य करवा रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सूबोध शुक्ला ने इस कार्य के बदले ₹50,000 की रिश्वत मांगी। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए विजिलेंस टीम ने फ़ौरन जाल बिछाया और सुनियोजित तरीके से ट्रैप ऑपरेशन की योजना बनाई।

ट्रैप ऑपरेशन का दिन

24 मई 2025 को बागेश्वर जनपद स्थित आरोपी के आवास पर विजिलेंस की टीम ने निगरानी रखी। जैसे ही शिकायतकर्ता ने आरोपी को रिश्वत की राशि सौंपी, टीम ने उसे मौके पर ही पकड़ लिया। सूत्रों के अनुसार, आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया है और उन्हें हिरासत में ले लिया गया है।

कौन हैं सूबोध शुक्ला?

सूबोध शुक्ला एक सेवानिवृत्त कर्नल हैं, जो वर्तमान में जिला सैनिक कल्याण अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। ऐसे संवेदनशील पद पर रहते हुए भ्रष्ट आचरण का यह खुलासा न केवल प्रशासनिक नैतिकता पर प्रश्न खड़े करता है, बल्कि पूर्व सैनिकों की सेवाओं और सम्मान से भी खिलवाड़ करता है।

मुख्यमंत्री की स्पष्ट नीति: भ्रष्टाचार नहीं सहेंगे

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही कई मंचों से स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के प्रति बिल्कुल भी सहनशील नहीं है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड में अब तक 150 से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यह आंकड़ा बताता है कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार की जड़ों को उखाड़ फेंकने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

जनविश्वास को मिला संबल

विजिलेंस की इस कार्रवाई से न केवल सरकारी तंत्र में सुधार की उम्मीद जगी है, बल्कि आम जनता को भी यह भरोसा मिला है कि अब उनकी शिकायतें अनसुनी नहीं जाएंगी। 1064 टोल फ्री नंबर अब भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने का एक सशक्त माध्यम बनता जा रहा है।


उत्तराखंड सरकार की इस सख्ती का संदेश साफ है – अब भ्रष्टाचार नहीं, जवाबदेही ही व्यवस्था का आधार बनेगी।

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