रिस्पना पुल और कारगी चौक से कल से शुरू होगी निशानदेही, 2050 तक के लिए ट्रैफिक समाधान देने वाला 61,000 करोड़ का मेगा प्रोजेक्ट—सैकड़ों मोहल्लों में हलचल
देहरादून |
राजधानी देहरादून में ट्रैफिक समस्या से निजात दिलाने के नाम पर एक ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट आकार ले रहा है, जो जहां शहर की तस्वीर बदल देगा, वहीं हज़ारों लोगों के घरों को भी प्रभावित करेगा। 61 हजार करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली एलिवेटेड रोड परियोजना अपने प्रारंभिक चरण में प्रवेश कर चुकी है। लेकिन विकास की इस दौड़ में 2,614 घरों पर अनिश्चितता का संकट मंडराने लगा है।
आज से शुरू होना था मकानों पर निशान लगने का काम, प्रशासनिक कारणों से टली प्रक्रिया
प्रारंभिक योजना के अनुसार, रिस्पना पुल और कारगी चौक से आज यानी मंगलवार को मकानों पर निशान लगाने का कार्य शुरू होना था, लेकिन किसी प्रशासनिक कारणवश यह कार्य आरंभ नहीं हो सका। अब लोक निर्माण विभाग की टीमें कल सुबह से भूमि सत्यापन और मकानों की निशानदेही शुरू करेंगी। इसके साथ ही पूरे शहर में हलचल और बेचैनी का माहौल बन गया है, खासकर उन मोहल्लों में जो इस परियोजना की जद में आ रहे हैं।
ट्रैफिक मुक्ति की दिशा में क्रांतिकारी परियोजना: दो एलिवेटेड फोरलेन सड़कें शहर के बीचोंबीच
परियोजना के अंतर्गत दो प्रमुख एलिवेटेड फोरलेन सड़कें प्रस्तावित हैं:
- बिंदाल नदी पर एलिवेटेड रोड:
यह कारगी चौक से शुरू होकर मैक्स अस्पताल तक लगभग 15 किलोमीटर लंबी सड़क होगी, जो शहर की प्रमुख बस्तियों से होकर गुजरेगी। - रिस्पना नदी पर एलिवेटेड रोड:
यह विधानसभा के पास रिस्पना पुल से शुरू होकर आईटी पार्क नागल ब्रिज तक लगभग 11 किलोमीटर लंबी होगी। यह मार्ग राजधानी के पूर्वी और उत्तरी क्षेत्र को जोड़ते हुए भीड़भाड़ को दूर करेगा।
परियोजना की डीपीआर तैयार, भूमि अधिग्रहण शुरू – 27 मोहल्ले प्रभावित
इस मेगा प्रोजेक्ट की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) पूरी कर ली गई है। अधिशासी अभियंता जितेंद्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि परियोजना से पूर्व सोशल इंपैक्ट असेसमेंट पूरा कर लिया गया है और अब भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। जमीनों के सत्यापन और चिह्नीकरण के लिए PWD की दो टीमें फील्ड में भेजी जा चुकी हैं।
- रिस्पना नदी के किनारे 11 मोहल्ले प्रभावित होंगे, जिनमें 1,120 मकान परियोजना की जद में आ रहे हैं।
- बिंदाल नदी पर 16 मोहल्ले प्रभावित होंगे, जहां 1,494 मकान इस योजना से प्रभावित होंगे।
- इस प्रकार कुल 2,614 मकान—कच्चे और पक्के दोनों—चिह्नित किए गए हैं, जो या तो आंशिक रूप से या पूरी तरह से हटाए जा सकते हैं।
सरकारी विभागों को संपत्तियां हटाने के निर्देश, हर बाधा हटेगी रास्ते से
परियोजना को बिना रुकावट तेजी से आगे बढ़ाने के लिए सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे बिजली के खंभे, जल संस्थान की पाइपलाइन, दूरसंचार के खंभे और अन्य सार्वजनिक ढांचे को हटाने की कार्यवाही तत्काल शुरू करें।
नागरिकों में चिंता: पुनर्वास की नीति पर स्पष्टता नहीं, विरोध की भी आशंका
जहां एक ओर यह प्रोजेक्ट भविष्य के स्मार्ट देहरादून की नींव रखने जा रहा है, वहीं प्रभावित परिवारों में चिंता और आशंका का माहौल है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अभी तक न तो मुआवजे की स्पष्ट नीति बताई गई है, और न ही पुनर्वास को लेकर कोई ठोस आश्वासन मिला है।
कुछ इलाकों में सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने पारदर्शी प्रक्रिया, न्यायोचित मुआवजा और वैकल्पिक व्यवस्था की मांग भी उठाई है। नागरिकों का कहना है कि विकास जरूरी है, लेकिन ‘विस्थापन के बिना विकास’ का संतुलन भी उतना ही आवश्यक है।
2050 का रोडमैप तैयार, लेकिन वर्तमान में टकराव का जोखिम
इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य वर्ष 2050 तक देहरादून को एक ट्रैफिक-मुक्त, सुव्यवस्थित और स्मार्ट राजधानी बनाना है। लेकिन वर्तमान में जिस ढंग से घरों पर निशान लगने की प्रक्रिया हो रही है, उसने प्रशासन की संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े किए हैं।
एक नज़र में: देहरादून एलिवेटेड रोड परियोजना
- लागत: ₹61,000 करोड़
- प्रस्तावित लंबाई: 26 किलोमीटर (दोनों सड़कों की कुल लंबाई)
- प्रभावित मकान: 2,614
- प्रभावित मोहल्ले: 27 (रिस्पना – 11, बिंदाल – 16)
- उद्देश्य: वर्ष 2050 तक ट्रैफिक मुक्त देहरादून
- अधिकारियों की निगरानी: अधिशासी अभियंता जितेंद्र कुमार त्रिपाठी
- अवस्था: डीपीआर पूरी, सोशल इंपैक्ट असेसमेंट हो चुका, भूमि अधिग्रहण जारी
विकास की रफ्तार तेज है, लेकिन साथ में उठने लगे हैं विस्थापन के सवाल। आने वाले दिन तय करेंगे कि देहरादून का यह सपना सबका होगा, या कुछ के लिए एक दुःस्वप्न।