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बस के पीछे छपा ‘रसम’ का ऐसा विज्ञापन, सोशल मीडिया पर बहस; बता रहे लिंगभेदी

बेंगलुरु मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की बस के पीछे रसम के एक विज्ञापन ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। लोग इस विज्ञापन पर आपत्ति जता रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस विज्ञापन में उत्तर भारतीय महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक संकेत किया गया है।लोगों ने इस विज्ञापन की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की और कहा कि आखिर ‘उत्तर भारतीय पत्नी??’ लिखकर विज्ञापन क्या कहना चाहता है।

लोगों का कहना है कि यह एक रूढ़िवादी सोच को दिखाता है। इसमें एक तरह से उत्तर भारतीय महिलाओं को कमतर बताने का प्रयास किया गया है। यह बताया जा रहा है कि उत्तर भारतीय महिलाएं रसम जैसे पकवान भी नहीं बना सकती। बता दें कि इंदिरा नाम के ब्रैंड का यह प्रचार है।

एक यूजर ने लिखा, यह विज्ञापन ऐसा है जो कि उत्तर औऱ दक्षिण भारतीय महिलाओं का अपमान कर रहा है। अगर कोई सभी नॉन इंग्लिश कैप्शन को हिंदी से रीप्लेस कर दे तो यह बहुत ही आपत्तिजनक हो जाएगा। एक दूसरे यूजर ने कहा, मुझे नहीं लगता कि यह विज्ञापन किसी भी तरह से आपत्तिजनक है। इसका मतलब यह नहीं हुआ कि जिनके घर में उत्तर भारतीय महिलाएं हैं उनके घर में डिश ही बनतीं। हर बात पर आपत्ति करने की कोई वजह नहीं है।

एक और यूजर ने लिखा, अगली बार जब ऐसे विज्ञापन देखना जिसमें एक शख्स लड़की के लिए कार का दरवाजा खोलता है और फिर सारा सामान भी ढोता है तो उसे भी लिंगभेदी बता देना। एक यूजर ने कहा, वाकई में रसम बनाना कोई आसान काम नहीं है। अगर किसी ने पहले ना बनाया होतो उसके लिए मुश्किल होगी। ऐसे में यह रेडी मेड रसम सहायक होगा। यह विज्ञापन देश की विविधता को दिखाता है। इसके अलावा उत्तर और दक्षिण भारतीयों में संबंध को दिखाता है।

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